चाबीवाले ने कहा कि लॉक तोड़ा, लॉक तोड़ने के बाद जैसे ही दरवाजा खुला उन लोगों ने उन्हें कुछ देखने ही नहीं दिया। कुछ भी दिखा नहीं। जैसे ही दरवाजा खुला वो लोग बोले कि आप लोग चले जाओ। वहीं, मोहम्मद ने ये भी बताया कि घटना वाले दिन कोई भी घबराया हुआ नहीं लग रहा था। हर कोई बस ये चाहता था कि ये दरवाजा खुल जाए। रफी आगे कहता है कि उन लोगों को पैसे की कोई टेंशन नहीं थी। उन्हें सिर्फ सुशांत के कमरे का ताला तुड़वाना था।