ऐसे पड़ा फ्लाइंग सिख नाम
रोम ओलंपिक में हार के बाद 1960 में पाकिस्तान के इंटरनेशनल ऐथलीट खेल के लिए उन्हें बुलाया गया। मिल्खा सिंह बंटवारे के दर्द के कारण कभी भी पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे। बहुत समझाने के बाद उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। कहा जाता है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री मिल्खा सिंह ने उन्हें इस रेस में शामिल होने के लिए मनाया था 1958 में अब्दुल खालिक को एशिया के सबसे तेज धावक माना जाता था। इस खेल में मिल्खा सिंह का मुकाबला अब्दुल खालिक से था, लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए। मिल्खा की जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने 'फ्लाइंग सिख' का नाम दिया। अयूब खान ने मिल्खा सिंह से कहा था, 'आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं। इसके बाद से ही उन्हें 'द फ्लाइंग सिख' कहा जाने लगा।