इनके आउट होते ही लोग बंद कर देते थे TV सेट, अब ऐसी है इस क्रिकेटर की LIFE
नई दिल्ली. रॉबिन सिंह एक ऐसा नाम जिसे आज की क्रिकेट में कम ही सुना जाता है, पर कभी इस खिलाड़ी के आउट होते ही भारतीय फैन जीत की उम्मीद छोड़ देते थे और मैच देखना बंद कर देते थे। आखिरी समय में मैच फिनिश करने की जिस कला के लिए धोनी को जाना जाता है, वह काम धोनी से पहले रॉबिन सिंह ने शुरू किया था। रॉबिन सिंह भारत के लिए खेलने वाले पहले विदेशी खिलाड़ी थे। उनका जन्म वेस्टइंडीज के त्रिनिदाद में हुआ था, यहीं पर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, पर पढ़ाई के लिए वो भारत आए और यहीं के होकर रह गए।
Asianet News Hindi | Published : Feb 2, 2020 1:25 PM IST / Updated: Feb 02 2020, 09:29 PM IST
रॉबिन सिंह ने भारत के लिए 136 वनडे और 1 टेस्ट मैच खेला है। उन्होंने अपना आखिरी मैच 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था।
136 वनडे मैचों में उन्होंने 1 शतक के साथ 2336 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 69 विकेट भी लिए।
अपने करियर के एकमात्र टेस्ट मैच में उन्होंने सिर्फ 27 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने 10 ओवर भी फेके पर कोई विकेट नहीं ले सके।
PSL के साथ जुड़ने के लिए राबिन सिंह ने हामी भरी थी। रॉबिन एकमात्र भारतीय क्रिकेटर थे जो पाकिस्तान में क्रिकेट लीग के साथ जुड़ने के लिए राजी हुए थे।
पाकिस्तान के खिलाफ इंडिपेडेंस कप के तीसरे फाइनल में रॉबिन सिंह ने 82 रनों की शानदार पारी खेली थी। इस मैच में उन्होंने सोरव गागुली के साथ 179 रनों की साझेदारी की थी।
अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी से ज्यादा रॉबिन सिंह फील्डिंग के लिए जाने जाते थे। उस दौर में रॉबिन सिंह जैसा खिलाड़ी अपनी फील्डिंग के चलते हर मैच में कई रन बचाने के साथ-साथ मुश्किल कैच पकड़कर टीम को जीत दिलाता था।
शानदार फील्डिंग के लिए पहचान रखने वाले रॉबिन सिंह कई टीमों के लिए कोचिंग कर चुके हैं। वो भारत के फील्डिंग कोच भी रहे हैं।
उन्होंने भारतीय टीम का कोच बनने के लिए भी अप्लाई किया था और रवि शास्त्री की जगह टीम के कोच बनना चाह रहे थे, हालांकि रवि शास्त्री अभी भी भारत के कोच बने हुए हैं।
आखिरी ओवरों में अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के चलते मैच फिनिशर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले रॉबिन सिंह आज गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं।
रॉबिन ने मुंबई इंडियंस के लिए भी कोचिंग की है। बतौर कोच उनका रिकॉर्ड शानदार रहा है। इसके बावजूद उनके नाम पर BCCI ने विचार तक नहीं किया था और रवि शास्त्री को भारतीय टीम का कोच बना दिया था।