कभी धोनी का सपना तोड़कर स्टार बना था ये खिलाड़ी, अब क्रिकेट में कोई नहीं पूछता
नई दिल्ली. 2012 में IPL का फाइनल चेन्नई सुपरकिंग्स और कोलकाता नाइटराईडर्स के बीच खेला जाना था। चेन्नई की टीम पिछले दोनों फाइनल जीतकर आई थी और यह फाइनल भी अपने नाम कर जीत की हैट्रिक लगाने के मूड़ में थी। मैच से पहले कोलकाता के गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी चोटिल हो गए। उनकी जगह ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज ब्रेट ली को टीम में शामिल किया गया। अब ब्रेंडन मैकुलम टीम में पांचवे विदेशी खिलाड़ी हो रहे थे और उनकी जगह फाइनल मैच में बिस्ला कोलकाता के लिए ओपनिंग करते उतरे। बिस्ला ने 89 रनों की शानदार पारी खेल अपनी टीम को विजेता बना दिया, पर इस मैच के बाद ही वो गायब हो गए।
Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2020 12:17 PM IST / Updated: Feb 10 2020, 09:56 AM IST
IPL में कमाल करने से पहले बिस्ला एयर इंडिया में नौकरी करते थे। वो मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं।
2012 के अलावा किसी भी सीजन में उनका बल्ला नहीं चला और अब उन्हें कोई भी टीम नहीं खरीदना चाहती है।
बिस्ला ने चौथी क्लास से क्रिकेट खेलना शुरू किया। वो अनुराग हुड्डा की क्रिकेट एकेडमी में सीखने के लिए जाने लगे।
वर्ल्ड स्कूल टूर्नामेंट के लिए शुरुआती 30 खिलाड़ियों में बिस्ला का नाम नहीं था। बिस्ला निराश होकर वापस लौट रहे थे तभी एक लड़के ने उन्हें रोका और फिर टीम में 2 और खिलाड़ियों को शामिल किया गया। इसमें बिस्ला का नाम शामिल था।
पत्नी के जन्मदिन पर मनविंदर बिस्ला ने फाइनल मैच में शानदार पारी खेली थी और अपनी टीम के लिए यह फाइनल जीता था।
2012 में चमकने के बाद बिस्ला का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा और वो इसके बाद IPL से भी बाहर हो गए।
इसके बाद से बिस्ला कई बार ऑक्शन में शामिल हुए पर किसी भी टीम ने उन्हें अपने साथ शामिल करने में रुचि नहीं दिखाई।
2012 में शानदार पारी के बाद उम्मीद की जा रही थी कि उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया जा सकता है, लेकिन उन्हें उस समय यह मौका नहीं मिला और अब इसकी कोई संभावना भी नहीं दिखती।
बिस्ला विस्फोटक बल्लेबाज होने के अलावा विकेटकीपिंग भी करते हैं। हालांकि फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 10 विकेट भी निकाले हैं।
39 IPL मैचों में उन्होंने 798 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका औसत 21 का रहा और 92 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा।