घरेलू क्रिकेट में 8 हजार से ज्यादा रन 50 के करीब औसत, पर इस गलती के लिए BCCI ने कभी नहीं किया माफ
नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट में हमेशा से ही एक से बढ़कर एक खिलाड़ी आते रहे हैं, पर हर खिलाड़ी अपनी काबीलियत के साथ न्याय नहीं कर पाया। यही कारण रहा है कि भारत को जितने स्टार खिलाड़ी मिले। गुमनाम खिलाड़ियों की सूची भी उतनी ही लंबी है। दिनेश मोंगिया भी इसी सूची में शामिल एक नाम है। वह क्रिकेटर जिसने फर्स्ट क्लास मैचों में 48.95 के औसत से 8028 रन बनाए। 27 शतक और 28 अर्धशतक भी ठोके पर भारत के लिए कुछ खास नहीं कर सके। दरअसल मोंगिया उन खिलाड़ियों में शामिल थे जिन्होंने ICL में अपना जलवा दिखाया था, जिसके बाद BCCI ने उन पर बैन लगा दिया। हालांकि, 2 साल बाद बैन हट भी गया पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें माफ नहीं किया।
मोंगिया ने साल 2001 में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। हालांकि अपने पहले मैच में वो कुछ खास नहीं कर सके, पर बाद में उन्होंने अपनी उपयोगिता साबित की और 2003 वर्ल्डकप टीम का हिस्सा भी बने।
मोंगिया ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 159 रनों की नाबाद पारी खेली थी। इस मैच की पहली और आखिरी गेंद भी उन्होंने ही खेली थी।
2003 वर्ल्डकप टीम का हिस्सा बनने के बाद मोंगिया का प्रदर्शन लगातार गिरता गया, पर उनके जीवन में असली परेशानी साल 2007 में शुरू हुई, जब वो ICL का हिस्सा बने।
ICL में शामिल होने वाले सभी खिलाड़ियों पर BCCI ने बैन लगा दिया और यह लीग भी बुरी तरह फ्लाप रही। इसके 2 साल बाद बैन हट भी गया, पर मोंगिया की किस्मत नहीं चमकी।
रायडू जैसे खिलाड़ियों ने बैन हटने के बाद भारतीय टीम में भी जगह बनाई, पर मोंगिया के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। साल 2015 में उन पर आरोप लगे कि ICL में फिक्सिंग करने वाले खिलाड़ियों में वो भी शामिल थे।
दिनेश ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और उनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं मिले, पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें माफ नहीं किया।
मोहम्मद अजहरुद्दीन को न्याय मिलने के बाद मोंगिया ने भी BCCI से अपने मामले पर विचार करने की गुहार लगाई थी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
मोंगिया ने भारत के लिए 57 वनडे मैचों में 27.95 के औसत से 1230 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 1 शतक और 4 अर्धशतक भी लगाए।
एकमात्र T-20 में उन्होंने 38 रनों की पारी खेली थी। इस मैच में उनका स्ट्राइक रेट भी 84.44 का रहा था।
अंत में हारकर साल 2019 में उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया।