उथप्पा के मुताबिक भारी डिप्रेशन के इसी दौर में उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया। उन्होंने इस मुश्किल से निकलने के लिए लोगों की मदद भी ली। क्रिकेटर ने यह भी कहा, "दरअसल, मैं बहुत मेहनत कर रहा था, मगर रन नहीं बना पा रहा था। मैं यह बिल्कुल मानने को तैयार नहीं था कि मुझे कोई मानसिक परेशानी है।" उथप्पा ने करीब दो साल तक इस परेशानी का सामना किया।