कांटे की टक्कर, आर पार की लड़ाई; किस पार्टी के खाते में जाएंगी दिल्ली की ये 10 सीटें?
नई दिल्ली. विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। अरविंद केजरीवाल जहां सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोहद कर रहे हैं तो बीजेपी 21 साल के सत्ता का वनवात करने के लिए अपनी हर कोशिश में लगी है। वहीं, कांग्रेस अपने वजूद को बचाए रखने की कवायद में है। ऐसे में तीनों दलों के बीच एक-एक सीट जीतने के लिए नाक की लड़ाई बन गई है। ऐसे में दिल्ली की 10 सीटें ऐसी हैं, जहां कांटे की टक्कर होती नजर आ रही है।
Asianet News Hindi | Published : Feb 3, 2020 4:26 AM IST / Updated: Feb 03 2020, 10:20 AM IST
मिर्जा गालिब का मुहल्ला बल्लीमरान में सियासी संग्राम तेज हैं। यहां मौजूदा मंत्री और पूर्व मंत्री के बीच चुनाव सिमटता जा रहा है। केजरीवाल सरकार में मंत्री और बल्लीमरान सीट से विधायक इमरान हुसैन एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिनके खिलाफ कांग्रेस ने हारुन यूसुफ को उतारा है। युसूफ चार बार विधायक और दो बार मंत्री रह चुके हैं, लेकिन 2015 में इमरान के हाथों हार गए थे। बीजेपी ने इस सीट पर लता सोढ़ी को उतारा है, जो मुस्लिम नेताओं की लड़ाई में जीत की आस लगाए हुए हैं।
दिल्ल की चांदनी चौक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है। कांग्रेस से अलका लांबा मैदान में हैं तो बीजेपी से सुमन गुप्ता चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी से इस सीट पर चार बार के एमएलए रहे प्रह्लाद साहनी ने उतरकर मुकाबले के दिलचस्प बना दिया है। 2015 में आम आदमी पार्टी से अलका लांबा जीती थी, लेकिन केजरीवाल के खिलाफ बगावत कांग्रेस का दामन थामा तो कांग्रेस छोड़कर प्रह्लाद साहनी आम आदमी पार्टी का। इस तरह से 2015 की तर्ज पर लड़ाई होती दिख रही हैं। वहीं, सुमन गुप्ता मोदी लहर में जीत का ख्वाब संजोय हुए हैं।
पूर्वी दिल्ली की गांधीनगर विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर चार बार के विधायक रहे अरविंदर सिंह लवली एक बार फिर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं, जिनके खिलाफ बीजेपी से अनिल वाजपेयी तो आम आदमी पार्टी ने नवीन चौधरी को उतारा है। 2015 में लवली चुनाव नहीं लड़े थे और आम आदमी पार्टी से अनिल वाजपेयी जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन इस बार बाजपेयी ने केजरीवाल का साथ छोड़कर बीजेपी से किस्मत आजमा रहे हैं तो अरविंदर लवली खुद उतरे हैं, जिसके चलते मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।
पंजाबी बहुल कालकाजी विधानसभा सीट पर दो महिला हाई प्रोफाइल कैंडिडेट आमने-सामने हैं। कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा हैं तो आम आदमी पार्टी से आतिशी मार्लिना मैदान में उतरी हैं। वहीं, बीजेपी से धर्मवीर सिंह किस्मत आजमा रहे हैं। इस सीट पर केजरीवाल ने अपने मौजूदा विधायक अवतार सिंह का टिकट काटकर आतिशी को उतारा है जबकि कांग्रेस शिवानी के पिता सुभाष इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। इस तरह से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर पूरी ताकत लगा रही हैं।
बाहरी दिल्ली की मटियाला विधानसभा सीट पर कांटे की लड़ाई मानी जा रही है। बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन का आगाज इसी सीट से किया है। बीजेपी ने अपने पूर्व विधायक राजेश गहलोत को उतारा है तो आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक गुलाब सिंह यादव पर भरोसा जताया है। वहीं, कांग्रेस से पूर्व विधायक सुमेश शौकीन एक बार फिर चुनावी ताल ठोक रहे हैं। इस तरह से तीनों प्रत्याशी एक दूसरे से कम नहीं है, जिसके चलते मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय का नार्थ कैंपस का इलाका मॉडल टाउन सीट के तहत आता है, जिसके चलते यहां चुनावी शोर कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा है। कांग्रेस के तीन बार विधायक रहे कुंवर करण सिंह की बेटी आकांक्षा ओला चुनाव लड़ी रही है। आकांक्षा के खिलाफ बीजेपी से कपिल मिश्रा और आम आदमी पार्टी से अखिलेश पति त्रिपाठी के मैदान में उतरे हैं। कपिल मिश्रा अपनी परंपरागत सीट छोड़कर यहां से लड़ रहे हैं, जिन्हें अपने कुछ नेताओं के फितरघात की चिंता सता रही है तो 2015 में यहां से जीते अखिलेश केजरीवाल के सहारे जीत की आस लगाए हुए हैं। वहीं, आकांक्षा अपने पिता कुंवर करण और अपने ससुर पूर्व सांसद शीशराम ओला की विरासत को बचाए रखने की कवायद में है।
बाहरी दिल्ली की मंडका विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के भाई मास्टर आजाद सिंह बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिनके खिलाफ आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक धर्मपाल को एक बार फिर उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने डॉ. नरेश कुमार पर भरोसा जातया है। 2015 में धर्मपाल ने आजाद सिंह को हराकर विधायक बने थे और इस बार फिर दोनों के बीच चुनावी मुकाबला माना जा रहा है।
जाट बहुल नजफगढ़ विधानसभा सीट पर केजरीवाल के मंत्री कैलाश गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले चुनाव में वो दिल्ली में सबसे कम वोटों से जीतने वाले विधायक बने थे, लेकिन इस बार बीजेपी के अजीत खरखरी ने उन्हें मात देने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के तमाम नेता उनकी जीत के लिए प्रचार कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस से उतरे साहिब सिंह यादव ने यादव वोटों को अपने पक्ष में समेट कर बीजेपी की परेशानी को बढ़ा दिया है।
दिल्ली की शकूरबस्ती विधानसभा सीट काफी हाई प्रोफाइल मानी जा रही है। यहां से अरविंद केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन एक बार फिर आम आदमी पार्टी से चुनावी किस्मत आजमाने उतरे हैं, जिनके खिलाफ बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे डॉ. एससी वत्स को उतारा है और कांग्रेस ने पंजाबी समुदाय के देवराज अरोड़ा पर भरोसा जताया है। 2015 में सत्येंद्र जैन के इस सीट पर जीतने में पसीने आए गए थे, ऐसे में यह सीट आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
यमुनापार का मुस्लिम बहुल इलाका सीलमपुर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है। कांग्रेस ने यहां अपने पांच बार के विधायक रहे चौधरी मतीन अहमद को उतारा है तो आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पार्षद अब्दुल रहमान पर दांव खेला है। वहीं, बीजेपी से कौशल मिश्रा ताल ठोक रहे हैं. मुस्लिम वोट यहां कांग्रेस और आम आदमी के बीच सिमटते जा रहे हैं तो हिंदू वोटर बीजेपी के साथ जाता नजर आ रहा हैं।