सूखकर कंकाल हो चुके मजदूर ने गटर से खाना उठा मिटाई अपनी भूख, धड़ाधड़ वायरल हो गई फोटो

नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर एक दिल को झकझोर देने वाली फोटो वायरल हो रही है। इस फोटो में एक गरीब दलित मजदूर गटर में बचे-खुचे फेंके गए खाना को निकालकर खाता नजर आ रहा है। पर तस्वीर के साथ दावा ये किया जा रहा है कि ये भारत के किसी कोने की है। जहां एक दलित को जबरन खाना देने से मना कर दिया गया। मजदूर को गटर से खाना निकालकर अपनी भूख मिटानी पड़ी। फोटो और वीडियो को देख लोग आंसू बहा रहे हैं। तो आइए फैक्ट चेकिंग जानते हैं तस्वीर से जुड़ी हर सच्चाई..।

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2020 10:30 AM IST

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सूखकर कंकाल हो चुके मजदूर ने गटर से खाना उठा मिटाई अपनी भूख, धड़ाधड़ वायरल हो गई फोटो
तस्वीर को देख लोग इमोशनल हो गए और भारत में दलितों की ऐसी हालत पर चिंता जताने लगे। देखते ही देखते इस तस्वीर को लोगों ने शेयर करना शुरू कर दिया और ये वायरल हो गई। तेजी से वायरल होने के बाद इस तस्वीर का संज्ञान लेकर हमने इससे जुड़े दावों की जांच के लिए फैक्ट चेकिंग की।
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ट्विटर पर एक यूजर ने तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा- "पेरियार को सड़कों से बचे हुए भोजन को खाने के लिए मजबूर किया गया था। उसे खाना देने से मना कर दिया गया था क्योंकि वह उत्तर प्रदेश काशी ( 1940 ) में एक शूद्र (दलित) है। उत्तर प्रदेश (2019) में एक धार्मिक समारोह से बचे हुए भोजन से अपनी भूख मिटाया एक दलित मजदूर। क्या यही हैं आजादी के 75 साल !!" काशी को आधिकारिक तौर पर वाराणसी कहा जाता है और यह एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है।
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फोटो के साथ दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (वाराणसी) में एक दलित मजदूर को अछूत होने कह अपमानित किया गया और उसे खाना देने से इनकार कर दिया गया। तब वो धार्मिक समारोह में बचे और फेंके हुए खाने के ढेर से खाना उठाकर खाने लगा। तस्वीर एक कहानी का कह रही है कि कैसे भारत अत्यधिक गरीबी, जातिवाद और श्रम शोषण से पीड़ित है। इस फोटो को देखते ही लोग भावुक हो गए और धड़ाधड़ फोटो शेयर करने लगे। हालांकि तस्वीर से जुड़ी सच्चाई कुछ और ही है।
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दरअसल जो तस्वीर है वो बिल्कुल ठीक है लेकिन तस्वीर के साथ शेयर किया जा रहा मैसेज पूरी तरह फर्जी है। तस्वीर के साथ किया गया दावा कि ये भारत में यूपी की है ये पूरी तरह गलत और भ्रामक बात है। फ़ैक्ट चेक में जब हमने गूगल रिवर्स सर्च इमेज में पाया कि ये तस्वीर असलियत में उत्तर प्रदेश की नहीं है। फुटपाथ के किनारे खड़े वाहन पर बांग्लादेश पुलिस का लोगो देखा जा सकता है। ये तस्वीर बांग्लादेश की है जहां एक मजदूर का वीडियो सामने आया था जो कचरे के ढेर में से खाना निकालकर खा रहा था।
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यह तस्वीर साल 2018 से इंटरनेट पर वायरल हो रही है। इसका इस्तेमाल 2019 में एक ब्लॉगपोस्ट में भी किया गया है। फोटो की सत्यता की जांच की गई तो ये तस्वीर बांग्लादेश की पाई गई इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है। बांग्ला के एक यूट्यूब चैनल पर भी ये वीडियो अपलोड किया गया है।
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