Fact Check. 10 मिनट धूप में खड़े होने पर तुरंत ठीक हो जाएंगे कोरोना की मरीज, क्या सच में?
नई दिल्ली. कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। भारत में भी कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातर बढ़ रही है। इस बीच सोशल मीडिया पर कोरोना के इलाज को लेकर रोजाना नए-नए दावे हो रहे हैं। दुनिया में कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं बन सकी है। इस बीच इंटरनेट वायरस का इलाज करने के तमाम नुस्खों सामने आए हैं। अब कुछ लोग धूप को कोरोना का असरकारक इलाज बता रहे हैं। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि क्या वाकई अल्ट्रावायलेट किरणें (UV rays) कोरोना को खत्म कर सकती हैं?
Asianet News Hindi | Published : Apr 6, 2020 9:35 AM IST / Updated: Apr 06 2020, 03:22 PM IST
कई सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि सूर्य के प्रकाश में मौजूद अल्ट्रावायलेट किरणें (UV rays) या UV सैनिटाइजर्स कोरोना को मार सकते हैं।
वायरल पोस्ट क्या है? कई फेसबुक यूजर्स जैसे “Ray Evans” और “Darli Thiri Aung” ने दावा किया है कि UV किरणें कोरोना वायरस को मार सकती हैं। दरअसल, कई सोशल मीडिया यूजर्स फेसबुक, व्हाट्सऐप और ट्विटर पर लोगों को सलाह दे रहे हैं कि इस खतरनाक वायरस से छुटकारा पाने के लिए धूप सेंके।
क्या दावा किया जा रहा ? फेसबुक पोस्ट लिखी गई कि कोरोना वायरस के मरीजों को अगर धूप सेंकने दी जाए तो वो तुरंत ठीक हो सकते हैं। दावा किया गया कि UV किरणें कोरोना वायरस को मारने में असरकारक हैं।
सच्चाई क्या है? यह दावा गलत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य शोध संस्थान कहते हैं कि अल्ट्रावायलेट किरणें (UV rays) मानव शरीर के लिए हानिकारक हैं। कोरोना का अभी तक कोई इलाज नहीं है। इससे संक्रमित होने से बचना ही इसका इलाज है। वहीं यूवी किरणों के बारे में WHO ने अपनी वेबसाइट और फेसबुक पेज पर कहा है कि "यूवी किरणो का उपयोग हाथों या त्वचा के अन्य हिस्सों को सैनिटाइज करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यूवी विकिरण त्वचा में जलन पैदा कर सकता है।"
बहुत से लोग जानना चाहते थे कि क्या UV किरणें कोरोना वायरस को मारने में सक्षम हैं। डॉ हांसासुता “AFP Fact Check” में कहते हैं कि प्राकृतिक रूप से सूर्य के प्रकाश में जो यूवी किरणें मौजूद हैं वे कोरोनो वायरस को मारने के लिए सक्षम नहीं हैं। बीबीसी के लेख के अनुसार, "अल्ट्रावायलेट का सिर्फ एक प्रकार है जो मजबूती से Covid-19 को निष्क्रिय कर सकता है और यह बेहद खतरनाक है इससे वायरस के साथ मरीज भी जल चुका होगा।" अमेरिकी कंपनी के लिए अल्ट्रावायलेट टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले डॉक्टर डैन अर्नाल्ड का कहना है कि इसके इस्तेमाल से "आप दरअसल लोगों को भून रहे होंगे।"
दरअसल कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अल्ट्रा वायलेट किरणों का तीसरा चरण यानि यूवीसी कोरोना को खत्म कर सकता है लेकिन ये मनुष्य के लिए भी घातक है। डॉ हांसासुता “AFP Fact Check” में कहते हैं कि प्राकृतिक रूप से सूर्य के प्रकाश में जो यूवी किरणें मौजूद हैं वे कोरोनो वायरस को मारने के लिए सक्षम नहीं हैं। इंटरव्यू में थाईलैंड के चुलालॉन्गकोर्न विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में वायरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ पोकरथ हांसासुता ने कहा, “यदि निश्चित दूरी से, निश्चित समय तक संकेंद्रित यूवी किरणों का इस्तेमाल किया जाए तो अल्ट्रावायलेट किरणें Covid-19 को मारने में सक्षम हैं, हालांकि, यूपी किरणों का वह स्तर भी मानव शरीर के लिए घातक है।”
ये निकला नतीजा- इस तरह हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि UVC किरणों का संकेंद्रित रूप Covid-19 को मार सकता है, लेकिन WHO या कोई भी शोधकर्ता इसकी सलाह नहीं देता क्योंकि यह मानव शरीर और त्वचा के लिए हानिकारक है। ऐसे में कोरोना के मरीजों को धूप सेंकने से कोई इलाज नहीं हो सकता है। न ही कोरोना के मरीज धूप में बैठने से ठीक हो सकते हैं। सोशल मीडिया का ये दावा गलत साबित होता है।