Kargil War: आकाश में था भारत के इस लड़ाकू विमान का राज, डर से पाकिस्तानी वायुसेना ने नहीं लिया जंग में हिस्सा

नई दिल्ली। आज कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) है। यह दिन उन योद्धाओं को नमन करने का है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए हिमालय की 18 हजार फीट ऊंची रणभूमि में लड़ाई लड़ी। कारगिल की लड़ाई (Kargil War) में भारतीय वायुसेना ने खास रोल निभाया था। उस समय भारत के लड़ाकू विमान MiG-29 का आसमान में राज था। इसके डर से पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने जंग में हिस्सा नहीं लिया। पाकिस्तान के लड़ाकू विमान अपने देश के अंदरुनी हिस्से में उड़ान भड़ते, लेकिन भारत की सीमा के करीब आने की हिम्मत नहीं करते थे। आगे पढ़ें कारगिल की लड़ाई में मिग-29 के रोल के बारे में...
 

Asianet News Hindi | Published : Jul 26, 2022 1:58 AM IST / Updated: Jul 26 2022, 07:37 AM IST

17
Kargil War: आकाश में था भारत के इस लड़ाकू विमान का राज, डर से पाकिस्तानी वायुसेना ने नहीं लिया जंग में हिस्सा

लड़ाई के बारे में कहा जाता है कि जिसका आसमान पर कब्जा हो, जमीन पर उसकी स्थिति मजबूत होती है। कारगिल की लड़ाई में भी यही हुआ। आसमान में भारतीय वायुसेना का एकक्षत्र राज था। इसके चलते वायुसेना के विमानों ने बिना किसी परेशानी के बमबारी की। इसके साथ ही हेलिकॉप्टरों को भी उड़ान भरने में कोई दिक्कत नहीं आई। 
 

27

मिग-29 विमान आर 77 विऑन्ड विजुअल रेंज वाले हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल (BVR) से लैस था। ऊपर से यह लड़ाकू विमान एयर सुपिरियोरिटी फाइटर प्लेन है। हवाई लड़ाई में इसकी रफ्तार और चपलता का मुकाबला आसान नहीं होता। मिग-29 के बीवीआर मिसाइल ने पाकिस्तानी वायुसेना की कमजोरी सबके सामने ला दी थी। 
 

37

पाकिस्तानी वायुसेना को डर था कि अगर उसके लड़ाकू विमानों ने लड़ाई में हिस्सा लिया तो भारत के मिग-29 विमान उन्हें दूर से ही मार गिराएंगे। उस समय पाकिस्तान के पास हवा से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल नहीं थे। इसके चलते पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने देश की सीमा के अंदर ही उड़ान भरी, लेकिन युद्ध के मैदान के पास जाने की हिम्मत नहीं की।
 

47

पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कंधे पर रखकर फायर किए जाने वाले जमीन से हवा में मार करने वाले चीनी मिसाइल से भारतीय वायु सेना के एक टोही विमान को निशाना बनाया था। मिसाइल लगने के बाद भी विमान सुरक्षित रूप से लौटने में कामयाब रहा। इसके बाद वायु सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के सफाए के लिए ऑपरेशन विजय चलाया था।
 

57

आसमान में मिग-29 का राज था। मिग-29 विमान लगातार निगरानी के लिए उड़ान भर रहे थे। दूसरी ओर वायुसेना के दूसरे विमान हिमालय की चोटियों पर कब्जा कर बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों पर बमबारी कर रहे थे। वायुसेना के MiG-21, MiG-23 और MiG-27 लड़ाकू विमानों ने 26 मई 1999 को घुसपैठियों के कैम्प, गोला-बारूद व रसद के भंडार और सप्लाई लाइन पर हमले किए। द्रास, कारगिल और बटालिक में किए गए इन हमलों से घुसपैठियों को काफी नुकसान हुआ।
 

67

कारगिल की लड़ाई में फ्रांस से खरीदे गए मिराज 2000 विमानों ने भी अहम रोल निभाया था। उस वक्त जमीन पर बमबारी के लिए वायुसेना द्वारा MiG-21, MiG-23 और MiG-27 विमानों का इस्तेमाल किया जाता था। मैदानी इलाकों के लिए ये विमान अच्छे थे, लेकिन हिमालय की चोटी पर छिपे बैठे दुश्मनों के सफाये के लिए ऐसे विमानों की जरूरत थी जो पिन प्वाइंट सटीकता से हमला कर सकें। 
 

77

मिराज 2000 विमानों ने यह काम किया था। यह विमान आधुनिक हथियारों के लैस था। दिन हो या रात, यह हर वक्त उड़ान भर सकता था और इसके लेजर गाइडेड बम पूरी सटीकता से हमला करते थे। मिराज विमानों ने पूरी सटीकता से घुसपैठियों के बंकरों को नष्ट किया। इसके हमले इतने असरदार थे कि चंद मिनटों में ही 300 से अधिक दुश्मनों का सफाया हो गया था।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos