चमोली हादसा: लापता 136 लोगों को मृत घोषित करने की जल्दी में क्यों है प्रशासन, जान लें इसके पीछे की बड़ी वजह

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद राज्य सरकार लापता 136 लोगों को मृत घोषित करने की तैयारी में है। सोमवार तक रेस्क्यू टीम ने 68 शवों को बरामद किया। अभी भी 136 लोग लापता हैं। 14 शव तपोवन के एनटीसी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के टनल में मिले। 7 फरवरी को चमोली (Chamoli) जिले के जोशीमठ के तपोवन में सुबह करीब 10 बजे ग्लेशियर फटने के बाद बाढ़ जैसी स्थिति बन गई। तपोवन में एनटीपीसी (NTPC) के हाइड्रोपावर प्लांट में काम चल रहा था। जिस वक्‍त ग्‍लेशियर फटा उस वक्त टनल की दूसरी तरफ 40 मजदूर काम कर रहे थे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 23, 2021 3:11 AM IST / Updated: Feb 23 2021, 08:50 AM IST
16
चमोली हादसा: लापता 136 लोगों को मृत घोषित करने की जल्दी में क्यों है प्रशासन, जान लें इसके पीछे की बड़ी वजह


लापता को मृत घोषित करने का नियम क्या है?
सूत्रों के मुताबिक, अब प्रशासन इस तैयारी में है कि आपदा में जो लोग अभी भी लापता हैं उन्हें मृत घोषित कर दिया जाए। नियम है कि जो लोग 7 साल से लापता हैं, जिनकी कोई खोज खबर नहीं है, उन्हें मृत घोषित किया जा सकता है।

26

7 साल के अंदर अगर उनकी कोई जानकारी मिलती है तो मृत घोषित नहीं किया जा सकता है। लेकिन चमोली हादसा में ऐसा नहीं किया जाएगा।  

36


चमोली केस में जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट 1969 का सहारा लिया जाएगा, जिसके मुताबिक, जो भी व्यक्ति लापता है उसे सात साल के पहले ही मृत घोषित किया जा सकता है। 

46

लापता तो मृत घोषित करने की जल्दी क्यों है?
अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा करने के पीछे वजह है कि आपदा से प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द सरकार की तरफ से मुआवजा मिल जाए। राज्य सरकार की तरफ से 4 लाख रुपए और केंद्र सरकार की तरफ से 2 लाख रुपए देने की घोषणा की गई है। 
 

56

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, साल 2013 में केदारनाथ आपदा के वक्त भी लापता लोगों को 7 साल पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था। 
 

66

हादसे में मृतकों को तीन वर्गों में बांटा जाएगा
जिला स्तर पर इस बारे में विस्तृत नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। मृत लोगों को तीन कैटेगरी में बांटा जाएगा। पहला, वे जो बाढ़ से प्रभावित इलाकों में रहते थे, दूसरे वे जो उत्तराखंड के दूसरे जिलों में रहने वाले हैं, लेकिन घटना के वक्त वह बाढ़ वाली जगह पर मौजूद थे, तीसरी कैटेगरी उनकी होगी, जो दूसरे राज्यों के थे, लेकिन आपदा के वक्त यहां मौजूद थे और बाढ़ में बह गए।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos