10 अनसुने किस्सेः जब अरुण जेटली ने भरी थी रजत शर्मा की फीस, कंधे पर हाथ रख कहा था- चलो चाय पिलाता हूं

नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली (66) का शनिवार दोपहर निधन हो गया। उन्हें कमजोरी और घबराहट की शिकायत के बाद 9 अगस्त को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बता दें कि जेटली को सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा (कैंसर) था। कॉलेज के दिनों से लेकर राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने तक, अरुण जेटली हमेशा दोस्तों और साथियों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनकी जिंदगी से जुड़े ऐसे कई अनसुने किस्से हैं, जिनके बारे में लोग नहीं जानते। हम बता रहे हैं अरुण जेटली की लाइफ के 10 अनसुने किस्से।

Asianet News Hindi | Published : Aug 24, 2019 10:44 AM IST / Updated: Aug 24 2019, 04:19 PM IST
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10 अनसुने किस्सेः जब अरुण जेटली ने भरी थी रजत शर्मा की फीस, कंधे पर हाथ रख कहा था- चलो चाय पिलाता हूं
1- जब जेटली ने रजत शर्मा की फीस भरी और चाय पिलाई : सोशल मीडिया पर अरुण जेटली को लेकर एक मशहूर किस्सा वायरल हो रहा है। इसके मुताबिक मशहूर पत्रकार रजत शर्मा के कॉलेज के दिनों का एक किस्सा शेयर किया है। इसके मुताबिक रजत शर्मा के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। हालांकि पढ़ाई में अच्छे होने की वजह से इंटर के बाद उनका नाम श्रीराम कॉलेज में दाखिला वाली मेरिट लिस्ट में आ गया था। अरुण जेटली उस वक्त कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष थे। कॉलेज के पहले दिन ही रजत लगातार दौड़ भाग कर रहे थे क्योंकि उनके पास फीस भरने के पैसे नहीं थे। किसी तरह जुगाड़ से उन्होंने फीस भरी भी तो उसमें 4 रुपए कम थे। इस पर अकाउंटेंट उन पर खूब चिल्लाया। उसी वक्त अरुण जेटली वहां आए और अकाउंटेंट को जोर से डांटा, कहा- फ्रेशर से ऐसे बात करते हो? अरुण ने फीस पूरी करने के लिए जेब से 4 रुपए निकालकर रजत शर्मा को दिए। फिर कंधे पर हाथ रखकर बोले- तुम्हारे पास तो चाय के लिए भी पैसे नहीं होंगे, चलो तुम्हें चाय पिलाता हूं।
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2- कांग्रेस के प्रत्याशी भी हो सकते थे जेटली : दिल्ली यूनिवर्सिटी में 1974 में छात्रसंघ के पहले सीधे चुनाव संपन्न हुए। यहां जेटली अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के सबसे प्रबल दावेदार थे। हालांकि यह तय नहीं था कि वो किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। सभी मानते थे कि जेटली का जीतना तय है फिर चाहे वो किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें। मशहूर पत्रकार प्रभू चावला उस समय विद्यार्थी परिषद् के दिल्ली प्रमुख थे, उन्होंने जेटली को टिकट देने के लिए संघ को मनाने का काम किया। विद्यार्थी परिषद ने जेटली को टिकट थमा दिया। हालांकि, तब जेटली का समर्थन करने वाली एनएसयूआई इससे हैरान रह गई थी। कहा जाता है कि जेटली 1974 में कांग्रेस के प्रत्याशी भी हो सकते थे।
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3- इमरजेंसी में जेल भी गए जेटली : 1975 में आपाताकाल के दौरान जेटली जेल भी गए थे। वहां से लौटने के बाद उन्होंने जनसंघ ज्वॉइन की थी। बाद में वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के दिल्ली अध्यक्ष भी रहे। 1984 में जेटली एबीवीपी भारतीय सचिव भी रहे।
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4- अटल जी ने किया था जेटली को प्रमोट : अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील थे। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्होंने लॉ एंड जस्टिस के अलावा सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वो अटली जी के सबसे भरोसेमंद मंत्रियों में से एक थे। यही वजह थी कि उन्हें सिर्फ एक साल में ही अटल जी ने कैबिनेट रैंक के लिए प्रमोट कर दिया था। बीजेपी नेता प्रमोद महाजन के निधन और अटल बिहारी वाजपेयी के रिटायरमेंट के बाद अरुण जेटली को पार्टी का चीफ स्ट्रेटेजिस्ट (मुख्य रणनीतिकार) बनाया गया था।
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5- देश के कई चर्चित केसों के वकील रहे जेटली : अरुण जेटली की गिनती देश के बेहतरीन वकीलों के तौर पर होती है। 80 के दशक में ही जेटली ने सुप्रीम कोर्ट और देश के कई हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण केस लड़े। 1990 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर वकील का दर्जा दिया। वी.पी. सिंह की सरकार में उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का पद मिला। बोफोर्स घोटाला, जिसमें पूर्व पीएम राजीव गांधी का भी नाम था उन्होंने 1989 में उस केस से संबंधित पेपरवर्क किया था। पेप्सीको बनाम कोका कोला केस में जेटली ने पेप्सी की तरफ से केस लड़ा था। बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अरुण जेटली ने ही सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में अमित शाह के केस और 2002 गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की तरफ से केस लड़ रहे वकीलों का मार्गदर्शन किया था।
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6- 2014 में चुनाव हारे, लेकिन कद और बढ़ा : 2014 में अरुण जेटली ने अपने पॉलिटिकल करियर में पहली बार लोकसभा का चुनाव अमृतसर से लड़ा। इस चुनाव में उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरा दिया। इस हार से जेटली के कद पर कोई असर नहीं पड़ा और मोदी कैबिनेट में उन्हें वित्त मंत्री के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि, 2017 से ही जेटली लगातार स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। 2018 में उनकी किडनी का भी ट्रांसप्लांट किया गया और मोदी सरकार की ओर से 2019 में वह अंतरिम बजट पेश नहीं कर सके। उस दौरान वह इलाज के लिए अमेरिका में थे।
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7- जेटली अपनी दादी को देते थे अच्छी शिक्षा और सफलता का श्रेय : अरुण जेटली अपनी अच्छी शिक्षा और पेशेवर सफलता का श्रेय हमेशा अपनी दादी को देते थे। कहा जाता है कि जेटली की दादी ने अपने पोतों को वकालत की शिक्षा के लिए गहने तक बेच दिए थे। जेटली ने सेंट जेवियर स्कूल, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स और दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
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8- छोले-भटूरे और चाट के बेहद शौकीन थे जेटली : अरुण जेटली ने संगीता डोगरा से शादी की। संगीता जम्मू-कश्मीर के जाने-माने पॉलिटीशियन की बेटी हैं। जेटली की पत्नी होममेकर हैं। जेटली खाने के बेहद शौकीन थे। उन्हें छोले-भटूरे और चाट बेहद पसंद थी। कई बार वो अपने घर आने वाले मेहमानों को अपने हाथों से खाना परोसते थे।
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9- क्रिकेट को खूब पसंद करते थे जेटली : अरुण जेटली क्रिकेट को बहुत पसंद करते थे। वो 2014 से पहले बीसीसीआई के वाइस प्रेसिडेंट भी रहे। इसके साथ ही वो दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रहे। जेटली ने टीम इंडिया के कई मैचों को अलग-अलग स्टेडियम में बैठकर लाइव देखा है।
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10- मोदी के दूसरे कार्यकाल में भी करते रहे सपोर्ट : अरुण जेटली ने 2019 में मोदी सरकार में शामिल नहीं होने का ऐलान ट्विटर पर किया था। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद जेटली सरकार की तरफ से लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे। उन्होंने कई बार विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए लंबे ब्लॉग भी लिखे।
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