45 मिनट तक पढ़ा गया अयोध्या पर 1045 पन्नों का फैसला, एक नजर में फैसले की 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला के लिए दी। इसके लिए कोर्ट ने ASI की रिपोर्ट को सबूत के तौर पर माना। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2019 7:23 AM IST / Updated: Nov 09 2019, 07:30 PM IST

16
45 मिनट तक पढ़ा गया अयोध्या पर 1045 पन्नों का फैसला, एक नजर में फैसले की 10 बड़ी बातें
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन समान हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। बेंच ने इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।
26
कोर्ट ने रामलला को कानूनी मान्यता देने की बात कही। साथ ही बेंच ने कहा कि एएसआई ने जो खुदाई की थी, उसे नकारा नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी माना कि मस्जिद के ढांचे के नीचे विशाल संरचना मिली थी, जो गैर-इस्लामिक थी।।
36
मुस्लिम पक्ष को कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। विवादित जमीन रामलला की। केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्ट बनाए। मंदिर निर्माण के नियम बनाने का आदेश दिया। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी शामिल किया जाएगा।
46
हिंदू सदियों से विवादित ढांचे की पूजा करते रहे हैं, लेकिन मुस्लिम 1856 से पहले नमाज का दावा सिद्ध नहीं कर पाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं। उनकी धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताते हैं। हिंदुओं का विश्वास है कि राम का जन्म यहां हुआ है, वह निर्विवाद है।
56
बेंच ने कहा- निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन को लेकर है। आर्केलॉजिकल सर्वे के दावे संदेह से परे हैं। इन्हें नकारा नहीं जा सकता है।
66
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने इस मामले में 40 दिन में 172 घंटे तक की सुनवाई की थी। बेंच में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल हैं।
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos