राम मंदिर से 5 किमी. की दूरी पर है वह जगह, जहां माता सीता सखियों के साथ झूला झूलने आती थीं

अयोध्या.  मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र की नगरी अयोध्या में उनका भव्य राम मंदिर बनने जा रहा है जिसका इंतजार राम भक्तों को कई दशकों से था। राम भक्त लम्बे समय से इसका इंतजार करते रहे और किसी न किसी विवाद में पड़कर राम भक्तों का सपना एक आस बनकर ही रह गया। अब ये इंतजार खत्म होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगा जिसका भूमि पूजन खुद देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को करने जा रहे हैं। अयोध्या में कई ऐसे स्थान है जिनका उल्लेख त्रेतायुग का वर्णन करने वाले ग्रंथों व शास्त्रों में मिलता है। उसी में से एक स्थान है मणिपर्वत। मणिपर्वत अयोध्या की पंचकोसीय परिधि के भीतर एक ऐसा स्थान है जहां से पूरी राम की नगरी का शानदार नजारा दिखाई देता है। एशिया नेट हिंदी ने मणि पर्वत के बारे में वहां के पुजारी रामदास जी से बात की।
 

Ujjwal Singh | Published : Aug 4, 2020 11:41 AM IST

113
राम मंदिर से 5 किमी. की दूरी पर है वह जगह, जहां माता सीता सखियों के साथ झूला झूलने आती थीं

70 फीट की ऊंचाई पर राम, लक्ष्मण और जानकी का मंदिर
अयोध्या की घनी बस्ती कमिगंज से जुड़ा हुआ एक 65-70 फीट ऊंचा टीला जो भी देखता है उसकी निगाहें बरबस ही इस ओर खिंची चली आती हैं। हमने भी जब इस पहाड़ को देखा तो इसके बारे में जानने की उत्सुकता मन में जगी।

213

पहाड़ के ऊपर तकरीबन 70 फीट की उंचाई पर राम, लक्ष्मण व जानकी का मंदिर है। उसके ऊपर भी एक झूला पड़ा हुआ है जो कि खाली ही रहता है।

313

माता सीता सखियों के साथ यहां झूला झूलती थीं
कहा जाता है कि माता सीता इस स्थान पर सखियों के साथ झूला झूलने जाती थी। ये परम्परा आज भी चली आ रही है। यहां के पुजारी रामदास जी ने बताया कि ऐसी आस्था है कि माता सीता आज भी सखियों के साथ यहां झूला झूलने आती हैं। उनके लिए झूला डाला जाता है।

413

एक झूला इस पर्वत की चोटी पर है जो पूरे वर्ष ऐसे ही रहता है। मणि पर्वत में बने मंदिर के गर्भगृह में एक झूला है।

513

पर्वत पर स्थित राम सीता मंदिर के पुजारी रामदास जी ने बताया कि इस पर्वत का इतिहास तकरीबन वर्ष पुराना है। रामायण काल से जुड़े कई ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। उन्होंने बताया कि यहां होने वाला सावन माह का झूलनोत्सव इतना मशहूर है कि पूरे देश से लोग यहां इस उत्सव को देखने आते हैं।

613

राजा दशरथ ने सीता जी के लिए डलवाया था झूला
पुजारी रामदास के मुताबिक शादी के बाद पहले सावन में झूला झूलने के लिए लड़कियां अपने मायके जाती हैं। लेकिन माता सीता का मायका जनकपुर अयोध्या के काफी दूर था, जिसके बाद  राजा दशरथ ने मणि पर्वत पर ही सीता जी के लिए झूला डलवाया। कभी से  यहां झूलनोत्सव की प्रथा चली आ रही है।

713

मणि पर्वत नाम पड़ने के पीछे है दिलचस्प किस्सा
जन्मभूमि से पूरब दिशा में तकरीबन 5 किमी दूर स्थित मणि पर्वत है। कहा जाता है कि जब महाबली हनुमान युद्ध में मेघनाथ का बाण लगने से मूर्छित लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी बूटी लाने गए थे तब उन्होंने इसी जगह पर पहाड़ रखकर विश्राम किया था। इसके बाद इसका कुछ अंश टूट कर वहीं गिर गया था जो आज मणि पर्वत के नाम से मशहूर है। 

813

यहां के पुजारी रामदास के मुताबिक, अयोध्या की इस ऐतिहासिक धरोहर को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में ले रखा है। मणि पर्वत की  हालत इस समय काफी जर्जर है।

913

यहां की दीवारों में लिखवाया गया है कि मणि पर्वत काफी जर्जर है इसपर अनावश्यक भीड़ न बढाएं।

1013

इस पर्वत पर बने मंदिरों की हालत भी काफी खराब है। इसके जीर्णोद्धार के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।

1113

इसपर बने मंदिरों की छत भी जर्जर हो चुकी है। मणि पर्वत की चोटी पर लगा झूला यहां के आकर्षण का केंद्र है। लेकिन वहां की जर्जर स्थिति को देखते हुए यहां धीरे-धीरे आकर श्रद्धालुओं का आना कम होता जा रहा है।

1213

अयोध्या में राम जन्मभूमी का पूजन 5 अगस्त बुधवार को बड़े ही भव्यता के साथ किया जाना है। इसकी तैयारियां जोर शोर पर हैं।

1313
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos