कोरोना से जंगः भारत में इन 8 दवाओं ने दिखाया कमाल, जिससे ठीक हुए 1.40 लाख मरीज

नई दिल्ली. दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। कोरोना  महामारी को खत्म करने के  लिए दुनिया भर के कई देशों में वैक्सीन बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। ब्रिटेन में वैक्सीन का ट्रायल थर्ड फेज में हैं। लेकिन अब तक कोई सटीक दवा नहीं बन सकी है। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि, भारत के लिए अच्छी खबर है कि एक्टिव केसों से ज्यादा ठीक होने वाले मरीजों की संख्या है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि बिना किसी ठोस दवा या वैक्सीन के ये मरीज ठीक कैसे हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों का किन दवाओं और थेरेपी से इलाज किया जा रहा है...
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 11, 2020 3:49 AM IST / Updated: Jun 11 2020, 09:23 AM IST
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कोरोना से जंगः भारत में इन 8 दवाओं ने दिखाया कमाल, जिससे ठीक हुए 1.40 लाख मरीज

रेमडेसिवीर
ये एक एंटीवायरल दवा है, जिसे सबसे पहले 2014 में इबोला के इलाज में इस्तेमाल किया गया था। WHO के ट्रायल में इस दवा को Covid-19 के कारगर इलाजों  में से एक माना गया है।  यह शरीर में वायरस रेप्लिकेशन को रोकता है। पिछले महीने, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज ने शुरुआती ट्रायल के आधार पर बताया था कि रेमडेसिवीर देने वाले कोरोना के मरीजों में 11 से 15 दिनों तक में सुधार हुआ है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 1 जून को रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। गंभीर रूप से बीमार कोरोना के मरीजों को अब डॉक्टरों की तरफ से ये दवा दी जा रही है। 

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फेवीपिरवीर
ये एक एंटीवायरल है जो वायरस रेप्लिकेशन को रोकने के लिए दी जाती है। इसे एंटी-इन्फ्लूएंजा दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस दवा को सबसे पहले जापान की फ्यूजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड ने विकसित किया था। भारत में ये दवा ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स और स्ट्राइड्स फार्मा को बनाने की मंजूरी मिली है। ये दवा कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीजों से लेकर हल्के लक्षण वाले मरीजों को दी जा रही है। कोरोना के मरीजों पर दवा के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए दस अस्पतालों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। 

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टोसिलीज़ुमाब
यह एक  इम्यूनो सप्रेसेंट दवा है जिसे आमतौर पर गठिया के इलाज में दी जाती है। मुंबई में, कोरोना वायरस के 100 से अधिक गंभीर मरीजों का इलाज इस दवा से किया गया है। सरकारी अस्पतालों में ये दवा मुफ्त में दी जा रही है। पहली बार ये दवा लीलावती अस्पताल में 52 साल के एक मरीज को दी गई थी, जिसकी हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी। इस दवा से कोरोना के कई मरीजों की हालत में सुधार देखा गया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस पर कोई भी डेटा देना अभी जल्दबाजी होगी।

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इटोलीजुमैब
यह दवा आमतौर पर त्वचा के रोगों जैसे सोरायसिस, रुमेटॉयड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और ऑटोइम्‍यून रोग में किया जाता है। भारत में, बायोकॉन कंपनी ने इसे 2013 में लॉन्च किया था। दिल्ली और मुंबई में कोरोना के मामूली से लेकर गंभीर मामलों में ये दवा ट्रायल के तौर पर दी जा रही है, जिसके शुरुआती नतीजे जुलाई तक आएंगे। 

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हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
कोरोना वायरस पर इस एंटी मलेरिया ड्रग के प्रभाव को लेकर पूरी दुनिया में बहस जारी है। द लैंसेट में छपी एक स्टडी के बाद WHO ने इसका सॉलिडैरिटी ट्रायल रोक दिया था। हालांकि स्टडी के लेखकों द्वारा इसे वापस लेने के बाद ट्रायल को फिर से बहाल कर दिया गया है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है। कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों जैसे सिर दर्द, बुखार, बदन दर्द से लेकर गंभीर मरीजों को डॉक्टर ये दवा दे रहे हैं। ICMR के दिशानिर्देशों के अनुसार नौ दिनों तक इसकी कम खुराक दी जा सकती है।
 

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डॉक्सीसाइक्लिन+आइवरमेक्टिन
डॉक्सीसाइकलीन एक एंडीबायोटिक दवा है, जिसका उपयोग यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, आंखों और श्वसन तंत्र संक्रमण के इलाज में किया जाता है।  वहीं आइवरमेक्टिन शरीर में मौजूद कीड़ों को मारने की दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस दवा का इस्तेमाल जुएं मारने के लिए भी किया जाता है। इन दोनों दवाओं के मिश्रण से कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

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रिटोनावीर+लोपिनावीर
ये एंटीवायरल आमतौर पर एचआईवी के मरीजों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सॉलिडैरिटी ट्रायल में इनकी जांच की जा रही है। कुछ स्टडीज से पता चला है कि ये दवाएं कोरोना के मरीजों के मृत्यु दर को कम करती हैं जबकि कुछ स्टडीज का दावा है कि मरीजों पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता है। भारत में एक दर्जन से अधिक दवा निर्माता इन दोनों दवाओं की आपूर्ति करते हैं। कोरोना के गंभीर मरीजों को डॉक्टर कभी-कभी इन दवाओं का मिश्रण देते हैं। 

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प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के शरीर से लिए गए प्लाज्मा को कोरोना के एक्टिव मरीजों के शरीर में डाला जाता है जिससे, उस मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने की एंटीबॉडी बन जाती है। दिल्ली के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल जारी है। अस्पतालों नें अपने ट्रायल में इस थेरेपी को मरीजों पर काफी असरदार बताया है। 
 

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भारत में कोरोना के 2.87 लाख केस 
भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख 87 हजार 155 हो गई है। जबकि अब तक 1 लाख 40 हजार 979 लोग ठीक हो चुके हैं। भारत के लिए अच्छी बात है कि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या एक्टिव केस 1 लाख 38 हजार से अधिक है। देश में अब तक कोरोना के शिकार 8107 लोगों की मौत हो चुकी है। 

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महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा असर 
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 94 हजार 41 हो गई है। जबकि 3438 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, तमिलनाडु में 36 हजार 841 लोग कोरोना से संक्रमित हैं। वहीं, 326 लोगों की मौत हो चुकी है। इन सब के इतर दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या 32 हजार 810 हो गई है। दिल्ली सरकार ने चेताया है कि राज्य में जुलाई तक 5 लाख से अधिक केस होंगे। 

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