दुनिया में करप्शन: 100 में से 86th पॉजिशन पर इंडिया, इस देश ने करप्शन खत्म करने किया तगड़ा काम

कोरोनाकाल में काम-धंधों पर बुरा असर पड़ा। लोगों को खाने-पीने के लाले पड़ गए, लेकिन भ्रष्ट लोगों ने खाना नहीं छोड़ा। बल्कि और ज्यादा खाया। यह हम नहीं कहते। दुनियाभर में करप्शन पर पैनी निगाह रखने वाली रैंकिंग एजेंसी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने ‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’ यानी CPI जारी किया है। इससे पता चलता है कि कोरोनाकाल में भारत में करप्शन कम होने के बजाय और बढ़ गया। दुनिया में सबसे कम करप्शन न्यूजीलैंड में है। आइए देखते हैं कौन कितना भ्रष्ट...

Asianet News Hindi | Published : Jan 29, 2021 5:17 AM IST / Updated: Jan 29 2021, 11:28 AM IST

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दुनिया में करप्शन: 100 में से 86th पॉजिशन पर इंडिया, इस देश ने करप्शन खत्म करने किया तगड़ा काम

‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’ यानी CPI का सर्वे बताता है कि भारत पिछले साल 40 अंकों के साथ 86वें स्थान पर है। पिछले साल ये अंक 41 अंकों के साथ 80वें स्थान पर था। आपको बता दें कि जिन देशों को 100 में से सबसे ज्यादा अंक मिलते हैं, वो कम भ्रष्ट देश होता है।

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हमारे पड़ोसी मुल्क चीन ने भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक काबू पाया है। ‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’में यह अब 78वें स्थान पर पहुंच गया है।

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‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’में सबसे बेहतर पोजिशन न्यूजीलैंड की है। उसे 100 में से 88 अंक मिले हैं। यानी यह करप्शन कंट्रोल करने में बेहतर स्थिति में है। यह पहली पोजिशन पर है।
 

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‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’ में न्यूजीलैंड की तरह ही डेनमार्क की स्थिति है। उसे भी 100 में से 88 अंक मिले हैं। यानी यह भी न्यूजीलैंड की तरह नंबर वन पोजिशन पर है।

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‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’ के अनुसार कुल 26 देशों की रैंकिंग पिछले साल (2019) की तुलना में सुधरी है। इनमें म्यांमार 28 अंक के साथ 137वें स्थान पर पहुंच गया है। इक्वेडोर (39), ग्रीस (50), गुयाना (41) और साउथ कोरिया (61) ने भी अपने यहां करप्शन पर कंट्रोल किया।

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‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’ के अनुसार 22 देशों में पिछले साल भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ा है। ये हैं बोस्निया-हर्जेगोविना (35), ग्वाटेमाला (25), लेबनान (25), मलावी (30), माल्टा (53) और पोलैंड (56)।

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‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’की रिपोर्ट के अनुसार कोरोनाकाल में सिर्फ हेल्थ और इकोनॉमिक एक बड़ा इश्यू नहीं रहा। बाकी चीजों पर भी बुरा असर पड़ा है। CPI ने 13 एक्सपर्ट्स और कारोबार से जुड़े लोगों से बातचीत और सर्वे के बाद यह लिस्ट जारी की है। 

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मोदी के कार्यकाल में भी करप्शन में कोई कमी नहीं आई है। 2005 से लेकर 2013 तक UPA की मनमोहन सिंह सरकार की तरह ही मोदी सरकार में देश में करप्शन बढ़ता गया। हालांकि 2006-07 में रैंकिंग सुधरी थी। तब भारत 70वें और 72वें स्थान पर था। लेकिन मनमोहन सिंह के समय यानी 2013 में भारत 94वें स्थान पर आ गया था। मोदी के कार्यकाल में सबसे अच्छी स्थिति 2015 में थी। तब वर्ल्ड रैंकिंग 76वीं थी।

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