नेशनल डेस्क। शिरीष थोराट (Shirish Thorat) गोवा पुलिस में डिप्टी सुपरिटेन्डेंट रह चुके हैं। वे मनसुख हिरेन मर्डर और मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटक रखने के मामले में मुख्य संदिग्ध आरोपी असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वझे (Sachin Vaze) के दोस्त रहे हैं। दोनों ने साथ मिलकर एक किताब भी लिखी है। यह किताब डेविड हेडली और मुंबई हमले से जुड़ी है। शिरीष थोराट अब यूएस में रहते हैं। उन्होंने एशियानेट हिंदी की सहयोगी वेबसाइट एशियानेट न्यूजेबल को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है। यह इंटरव्यू सुनीता अय्यर (Sunita Iyer) ने लिया है। जानें इस पूर्व पुलिस अधिकारी ने मुंबई की पुलिस व्यवस्था और इस मामले से जुड़े पहलुओं के बारे में क्या कहा।
सवाल - मुंबई पुलिस षड्यंत्र, फिरौती, मर्डर और कई तरह के राजनीतिक मामलों में फंसी रहती है। अभी के स्कैंडल पर आपका क्या कहना है?
जवाब - वाकई यह सब बेहद दुखद है। कोई भी पुलिस से ऐसी उम्मीद नहीं कर सकता कि वह इस तरह के मामलों में उलझेगी। इससे पुलिस पर भरोसा खत्म होने लगता है। पहले भी ऐसी अफवाहें उड़ती रही हैं, जिनसे यह लगता रहा है कि मुंबई पुलिस में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। लेकिन जिस तरह की कहानियां रोज सामने आ रही हैं, वे हैरान कर देने वाली हैं
सवाल - इसके बारे में आप क्या सोचते हैं कि विस्फोटकों से भरी हुई गाड़ी मुकेश अंबानी के घर के पास क्यों पार्क की गई?
जवाब - मैं इसे अलग तरह से देखता हूं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह कोई बम नहीं था। एक बम में कई तरह के पार्ट्स होते हैं, जैसे विस्फोटक सामग्री, पावर सोर्स, सर्किट स्विच, डिटोनेटर वगैरह। यहां जेलेटिन की 20 छड़ें पाई गईं, जिनसे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हो सकता था। इसलिए यहां मुख्य आरोप बम विस्फोट और आतंकी गतिविधि का नहीं बनता है। जहां तक लोकेशन का सवाल है, यह एंटीलिया से 1 किलोमाटर दूर था। वास्तव में यह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के ज्यादा करीब था। वहां पास ही एक हेलिपैड भी है। वह भी एक टारगेट हो सकता है। इसलिए मैं यह समझ नहीं सका कि आखिर मीडिया ने इसे मुकेश अंबानी के एंटीलिया से क्यों जोड़ दिया। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि इसका एंटीलिया से कोई लेना-देना नहीं है।
सवाल - एनआईए (NIA) एक मामले की जांच कर रही है, जिसमें मुख्य संदिग्ध और साजिशकर्ता सचिन वझे है। सचिन वझे और इस मामले को लेकर आपकी राय क्या है?
जवाब - सचिन वझे मेरा करीबी दोस्त रहा है। वह उसी समय से मेरा दोस्त रहा है, जब पहली बार हम एकेडमी में मिले थे। मैं पिछले 30 सालों से उसके लगातार संपर्क में रहा हूं। हमने हमेशा एक-दूसरे का सहयोग किया है। हमारी जिंदगी में हमेशा उतार-चढ़ाव आते रहे है। मैं पूरी तरह यह सच्चाई सामने लाना चाहता हूं कि जहां तक साथ में बिजनेस करने का सवाल है, मैं हमेशा पैसिव डायरेक्टर रहा। मैंने कभी भी इन्वेस्टमेंट नहीं किया और न ही मैं शेयरहोल्डर रहा। मैंने बतौर दोस्त उसकी मदद की, जो अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहा था। वह कभी एक सफल बिजनेसमैन नहीं रहा। हालांकि, उसने कई तरह के कारोबार में हाथ आजमाया, लेकिन उसे सक्सेस नहीं मिली। वझे को कानून की बहुत अच्छी जानकारी है। वह काफी इनोवेटिव है। उसने कई कॉपीराइट अपने नाम किए। उसने कॉल रिकॉर्डिंग के लिए एनालेटिकल सॉफ्टवेयर डेवलप किया। उसने केस लॉ डिक्शनरी तैयार की। मेरे साथ मिलकर उसने कुछ मोबाइल ऐप्स डेवलप किए, जो लॉ एन्फोर्समेंट में सहायक थे। उसने भारतीय फेसबुक की तरह एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी विकसित किया, जिसका नाम 'लाई भरी' (Lai Bhari) रखा गया। यह काफी हद तक सफल रहा। इससे जाहिर होता है कि वझे काफी इंटेलिजेंट है। ऐसा शख्स इस तरह के काम करे, इस पर एकबारगी यकीन नहीं होता। मैं इस तरह का काम करने वाले व्यक्ति का समर्थन नहीं कर सकता। लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि सचिन वझे के साथ कुछ गलत हुआ है।
सवाल - आपने सचिन वझे के साथ मिल कर 'The Scout: The Definitive Account of David Headley and the Mumbai Attacks' किताब लिखी। इसका अनुभव कैसा रहा?
जवाब - मैं 2013 में यूएस चला आया। मैं वहां काफी अकेलापन महसूस कर रहा था। मैं वहां की सर्दी की वजह से बाहर भी कम ही निकल पाता था। तब सचिन वझे ने ही इस किताब को लिखने का आइडिया सामने रखा। शुरुआती विचार उसका ही था और इस मैं किताब लिखने की योजना में शामिल हो गया। मैं जैसे-जैसे इस विषय की गहराई में जाता गया, मुझे और भी सामग्री और रिसर्च की जरूरत महसूस हुई। सचिन भारत में रहने की वजह से सामग्री जुटा सकता था। उसके पास सोर्स भी थे। उसने सामग्री जुटानी शुरू कर दी। इसके बाद मैंने उससे कहा कि हम लोग मिलकर इस किताब को लिखें। सचिन इस मामले में काफी गंभीर निकला। उसने बेहतर होमवर्क और रिसर्च वर्क किया। इस तरह, हम दोनों ने मिलकर यह किताब लिखी। सचिन ने मराठी में भी इस विषय पर किताब लिखी। हमारा अनुभव काफी बढ़िया रहा।
सवाल - सचिन वझे से अंतिम बार आपने कब बातचीत की और यह किस विषय पर थी?
जवाब - अंतिम बार मैंने उससे उसकी गिरफ्तारी के 2 दिन पहले बात की। वह काफी नर्वस लग रहा था। उसे गिरफ्तार किए जाने की आशंका थी। उसने मुझसे कहा कि उसे कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। उसने यह भी कहा कि अगर उसे गिरफ्तार किया जाता है, तो मैं उसके परिवार का हाल-चाल लेता रहूं और उनका ध्यान रखूं। वह इस बात को महसूस कर रहा था कि उसका कोई दोस्त है, जो संकट के समय में उसके परिवार का ध्यान रखेगा। मैं उसके परिवार को अच्छी तरह जानता हूं। उसकी पत्नी को, उसकी बेटी को, उसके भाई को और फैमिली के हर मेंबर को। मैंने उससे पूछा कि क्या वह कुछ कहना चाहता है। उसने सिर्फ इतना ही कहा कि वह गिरफ्तार होने जा रहा है और उसके खिलाफ वैसे ही आरोप लगाए जाएंगे, जैसे 2004 में लगाए गए थे। यह 4-5 मिनट की बातचीत थी। इसी बीच लगा कि कोई आया और उसने यह कहते हुए कि दोबारा कॉल करेगा, फोन डिसकनेक्ट कर दिया।
सवाल - एक इंटरव्यू में आपने कहा था कि सचिन वझे ने आपले कहा है कि उसे इस केस में बलि का बकरा बना दिया गया है। क्या आप सोचते हैं कि वह निर्दोष है?
जवाब - मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सचिन इस मामले में काफी हद तक शामिल है। मैं किसी के अपराध का बचाव नहीं कर सकता। अगर सचिन वझे ने गलत किया है और इस अपराध में शामिल है, तो उसे इस मामले में अधिकतम सजा मिलनी चाहिए। इस बात को भूला नहीं जा सकता कि उस वक्त वह अपनी ड्यूटी पर था। कई ऐसी बातें हैं, जिनकी मैं उपेक्षा नही कर सकता। पहली बात यह है कि यह काम अकेले नहीं किया जा सकता। यह तथ्य है कि एक शख्स स्कॉर्पियो को चला रहा था, वहीं दूसरा इनोवा को। इस मामले में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। दूसरी बात, एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर इतनी बड़ी साजिश कैसे रच सकता है और उसे अंजाम दे सकता है। इसलिए इस मामले में और भी लोग जुडे हो सकते हैं, जिसका पता एनएआई लगाएगी।
सवाल - क्या सचिन वझे ने आपसे यह बतलाया था कि कैसे वह रातोंरात मुंबई पुलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन यूनिट का हेड बन गया?
जवाब - यह कोई सीक्रेट नहीं है कि सचिन वझे पिछले 2 दशकों से शिवसेना का वफादार रहा है। उसके शिवसेना के नेताओं से काफी करीबी संबंध रहे हैं। इसके बावजूद मैं यह नहीं समझ सका कि उसकी दोबारा बहाली कैसे हो सकी। वह ख्वाजा यूनुस की मां के मर्डर केस में पहले से जमानत पर था। इसे लेकर हाईकोर्ट में पिटीशन दाखिल किया गया था। हाईकोर्ट ने सचिन वझे की पुनर्बहाली को लेकर सवाल पूछे थे। मेरे लिए उसकी बहाली दुनिया के आठवें आश्चर्य की तरह है। यह काम सिर्फ मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं। दूसरा कोई अधिकारी ऐसा नहीं कर सकता। इसमें कोई शक नहीं कि शिवसेना के नेतृत्व ने 17 साल के वनवास के बाद उसे फिर से बहाल किया।
सवाल - जांच से पता चल रहा है कि सचिन वझे महंगी कारों का शौकीन था।
जवाब - सचिन वझे हमेशा से नई और महंगी कारों का शौकीन रहा, यह कोई छुपी बात नहीं है। वह सबसे लेटेस्ट लैपटॉप रखता था। वह गैजेट का काफी शौकीन था। वह इतनी महंगी कारें रखता था, जिन्हें उसके लिए अफोर्ड कर पाना मुश्किल था। इसके लिए उसे दूसरे सोर्स से पैसों का प्रबंध करना होता था और इसीलिए उसने बिजनेस की शुरुआत की थी। इसे लेकर उसके और मेरे बीच कई बार बहस की नौबत आ जाती थी। मैं अपने पैसे बैंक में जमा कर देता था और वह उनसे कार खरीद लेता था। मैं उसे ऐसा करने से मना भी करता था, लेकिन वह किसी की नहीं सुनता था। महंगी कारें उसकी कमजोरी थीं। कई बार वह कर्ज लेकर भी कार खरीदता था।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के 100 करोड़ रुपए की उगाही वाले आरोप पर आपका क्या कहना है?
जवाब - मैंने इससे संबंधित लेटर अच्छी तरह पढ़ा है। उन्होंने इस बात का साफ तौर पर उल्लेख किया है कि इसके बारे में मुख्यमंत्री और दूसरे नेताओं को बतला दिया गया है। उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है और उन पर भरोसा नहीं करने की कोई वजह नहीं है। वे बहुत ही सीनियर अधिकारी हैं। मेरे मन में उनके प्रति गहरे सम्मान की भावना है। वे कोई झूठा और मनगढ़ंत आरोप नहीं लगा सकते।
कुल मिलाकर, इस पूरे मामले में मुंबई पुलिस की छवि खराब हुई है। आपका इस पर क्या कहना है?
जवाब - मैं इस बात से खुश हूं कि आपने उस मुद्दे को सामने रखा है, जिस पर कोई चर्चा करना नहीं चाहता। पिछले 10 दिन से मैं यह देख रहा हूं कि सचिन वझे को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। हर कोई इस मुद्दे को लेकर टीवी चैनलों पर आ रहा है। सभी मुंबई पुलिस और सचिन वझे की भर्त्सना कर रहे हैं। मेरा मानना है कि मुंबई पुलिस आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की तरह ही एक इंस्टीट्यूशन है। यह लीडरशिप और सुपरविजन के सिद्धांत पर चलती है। असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर के ऊपर सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर और असिस्टेंट कमिश्नर होते हैं। डिप्टी कमिश्नर, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, जॉइंट पुलिस कमिश्नर और इसके बाद पुलिस कमिश्नर का पद है। यहां कमांड की एक कड़ी है। जब एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर 17 साल के बाद पिछले 10 महीने से फिर से सेवा में आया है और लग्जरी कारों में घूमता है, तो यह मामला जरूर संदिग्ध लगता है। मेरे विचार से सचिन वझे के व्यवहार में पिछले 10 महीने में काफी बदलाव आया है, खासकर 2 महीने में। मैं अपने दोस्त को पहचान पाने में असफल रहा। मैं जानता हूं कि सचिन वझे को कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम है। वह दिल का मरीज है। वह बिना किसी मेडिकल सुपरविजन के दवाइयां ले रहा है। इसका उस पर बुरा असर पड़ रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वह एक तेज-तर्रार अफसर रहा है, लेकिन उसने कई गलतियां की हैं। मेरा मानना है कि जांच के दौरान सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।