Published : Dec 10, 2020, 02:48 PM ISTUpdated : Dec 10, 2020, 02:51 PM IST
नई दिल्ली. पीएम मोदी ने संसद भवन की नई बिल्डिंग की आधारशिला रखी। सर्वधर्म प्रार्थना के तहत संसद भवन की नींव रखने का कार्यक्रम किया गया। इसमें हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, जैन एवं अन्य धर्मों के धर्मगुरु मौजूद रहे, जिन्होंने प्रार्थना की। संसद भवन की नींव रखी जाने के कार्यक्रम में कई हस्तियां मौजूद रहीं। उद्योगपति रतन टाटा, अमित शाह, राजनाथ सिंह और अन्य कई केंद्रीय मंत्री कार्यक्रम स्थल पर थें।
पुराने संसद भवन का आकार गोल है, जबकि नई संसद तिकोने आकार में होगी। इसके चलते नई और पुरानी बिल्डिंग्स एक साथ देखने पर डायमंड लुक नजर आएगा।
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संसद भवन की पुरानी इमारत को ब्रिटिश काल में बनाया गया था। बिल्डिंग को एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था।
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मौजूदा संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई थी और निर्माण में छह साल लगे थे और उस समय 83 लाख रुपए की लागत आई थी। उद्घाटन समारोह 18 जनवरी, 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था। नए भवन में 64,500 वर्ग मीटर का क्षेत्र होगा।
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नए भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत, संसद के सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थल, रिलीज के लिए एक भव्य संविधान हॉल भी होगा।
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नए भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में सदस्यों के लिए 384 सीटें होंगी। लोक सभा कक्ष में संयुक्त सत्र के दौरान 1,224 सदस्यों के लिए बैठने की क्षमता होगी। यह दोनों सदनों के सदस्यों की संख्या में भविष्य की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
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इस साल सितंबर में टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नए संसद भवन के निर्माण के लिए बोली लगाई थी। नए भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत किया जाएगा। मौजूदा संसद भवन का निर्माण संसदीय आयोजनों के लिए अधिक कार्यात्मक स्थान प्रदान करने के लिए उपयुक्त रूप से रेट्रो-फिट किया जाएगा, ताकि नए भवन के साथ इसका उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
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नई बिल्डिंग में हर सांसद का अपना एक दफ्तर होगा। बिल्डिंग की कुल लागत 971 करोड़ अनुमानित है। अगस्त 2022 तक प्रोजेक्ट का काम पूरा होगा। मौजूदा इमारत व्यास में 560 फीट की एक विशाल गोलाकार इमारत है। पार्लियामेंट हाउस एस्टेट एक सजावटी लाल बलुआ पत्थर की दीवार या लोहे के गेट से घिरा हुआ है, जिसे अवसरों की मांग के अनुसार बंद किया जा सकता है।
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संसद के हरेक अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस होंगे। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए हाईटेक ऑफिस की सुविधा होगी।
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वीवीआईपी के लिए अंडरग्राउंड एन्ट्रेंस, जबकि आम लोगों और अधिकारियों के लिए ग्राउंड फ्लोर से एंट्री होगी।