इस पाकिस्तानी आतंकवादी को 5 साल पहले मानवीयता में छोड़ा गया था, बचकर कैसे निकलना है, लश्कर सिखाता है ट्रिक

जम्मू. यह तस्वीर हाल में भारतीय सेना द्वारा दबोचे गए पाकिस्तानी आतंकवादी तबारक हुसैन की है। यह कई चौंकाने वाले खुलासे कर रहा है। इस आतंकवादी ने बताया कि उसे एक पाकिस्तानी कर्नल ने भारतीय पोस्ट पर अटैक करने के बदले में 30 हजार पाकिस्तानी रुपए (10,980 भारतीय रुपए) दिए थे। ये सारी बातें इस आतंकवादी ने एक वीडियो में कबूल की हैं। यह वीडियो एक न्यूज एजेंसी ने रिलीज किया है। हैरानी की बात यह है कि यह आतंकवादी पहले भी पकड़ा जा चुका है। तबारक को 2016 में भी इसी इलाके में भारतीय सेना ने पकड़ा था। उस समय ये अपने भाई हारून अली के साथ घुसपैठ करके भारत आया था। तब सेना ने उसे मानवीयता के आधार पर छोड़ दिया था। इसे नवंबर 2017 में पाकिस्तान वापस भेज दिया था। तब उसने यही बताया था कि गलती से बॉर्डर पार कर गया है। लेकिन इस बार उसका ये बहाना नहीं चल पाया। हालांकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली के सब्ज़कोट गांव के रहने वाले 32 वर्षीय तबारक हुसैन को उसके साथी मरा समझकर भाग गए थे। उसकी जान भारतीय सेना ने ब्लड देकर बचाई। राजौरी में सैन्य अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव नायर ने कहा कि उन्होंने उसे कभी आतंकवादी नहीं माना और उसकी जान बचाने के लिए किसी अन्य मरीज की तरह उसके साथ व्यवहार किया। जांघ और कंधे में दो गोली लगने के कारण उसका काफी खून बह गया था और हालत गंभीर थी। हमारी टीम के सदस्यों ने उसे तीन बोतल खून दिया, उसका ऑपरेशन किया और उसे आईसीयू में रखा। अब वो ठीक है।पढ़िए एक चौंकाने वाली कहानी...
 

Amitabh Budholiya | Published : Aug 25, 2022 6:08 AM IST / Updated: Aug 25 2022, 12:12 PM IST
15
इस पाकिस्तानी आतंकवादी को 5 साल पहले मानवीयता में छोड़ा गया था, बचकर कैसे निकलना है, लश्कर सिखाता है ट्रिक

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पकड़े गए इस घुसपैठिए आतंकवादी को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा फिदायीन (आत्मघाती हमलावर) के रूप में भेजा गया था। नौशेरा सेक्टर के सेहर मकरी इलाके में रविवार शाम(21 अगस्त) सेना के जवानों ने संदिग्ध हरकत देखी। चुनौती देने के बाद आतंकवादी एलओसी के पाकिस्तानी बॉर्डर की ओर वापस भागने लगा। सैनिकों ने उस पर गोलियां चलाईं और उसे घायल हालत में पकड़ लिया गया। उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर राजौरी में सेना के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में इसकी पहचान तबारक हुसैन के रूप में हुई है।

25

पूछताछ में इस आतंकवादी ने खुलासा किया कि उसे एलओसी पर सेना के कैम्पों पर हमला करने लश्कर के आत्मघाती दस्ते के हिस्से के रूप में भेजा गया था। यानी यह दूसरी बार है एलओसी पार करके आया है।

35

तबारक ने बताया कि उसे ट्रेनिंग दी गई थी कि पकड़े जाने पर उसे कैसे कवर स्टोरी बनानी है। इसने पाकिस्तानी इलाके में LOC पर भीमबेर( LoC at Bhimber) में लश्कर के कैम्प एक गाइड के रूप में 6 हफ्ते की ट्रेनिंग ली थी।

45

तबारक ने खुलासा किया कि इससे पहले 25 अप्रैल, 2016 को उसे अपने साथी हारून अली और तीन अन्य आतंकवादियों के एक ग्रुप के साथ लॉन्च किया गया था। यानी हमले के लिए भेजा गया था। हालांकि तब वो और सहयोगी हारून अली दोनों को भारतीय सैनिकों ने पकड़ लिया था। तब इसे 26 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। इसके बाद दोनों को अटारी-वाघा सीमा अमृतसर से पाकिस्तान वापस भेज दिया गया था। इस बार भी ये अपने साथियों के साथ आया था। हालांकि भारतीय सेना की गोलीबारी के चलते इसके बाकी साथी घने जंगलों का फायदा उठाकर भाग गए। 

यह भी पढ़ें-लोगों ने जिसे लड़की की लाश समझकर पुलिस को बुला लिया, वो निकली कीमती सेक्स डॉल, Shocking News
 

55

यह मामला 22-23 अगस्त का है, जब एक ऑपरेशन में नौशेरा के लैम सेक्टर में 3 आतंकवादियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। लेकिन जैसे ही ये LoC क्रॉस कर माइन फील्ड्स के पास पहुंचे, माइन्स एक्टिवेट हो गईं। ब्लास्ट में 2 आतंकवादियों की मौके पर मौत हो गर्ई। एक आतंकवादी घायल तो हुआ, लेकिन खराब मौसम का फायदा उठाकर भाग गया था। 

यह भी पढ़ें-पैगंबर के अपमान का बदला लेने भारत आ रहा था IS का सुसाइड बॉम्बर, टारगेट पर थे बड़े नेता, रूस ने पकड़ा

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos