Published : Jul 13, 2019, 08:36 PM ISTUpdated : Jul 22, 2019, 11:31 AM IST
नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने अपने मिशन चंद्रयान-2 की पूरी तैयारी कर ली है। 15 जुलाई की रात को भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक और कदम आगे बढ़ा लेगा। इसरो की ओर से बताया गया है- "इस बार हम ऐसे स्थान पर जा रहे हैं, जहां पहले कोई नहीं गया है।'' इसरो आज दुनिया की सबसे भरोसेमंद स्पेस एजेंसी है। दुनियाभर के 32 देश इसरो के रॉकेट से अपने उपग्रहों को लॉन्च कराते हैं। 16 फरवरी 1962 को डॉ. विक्रम साराभाई और डॉ. रामानाथन ने इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च का गठन किया था। 1963 में पहला साउंडिंग रॉकेट छोड़ा था। तब से लेकर अबतक इसरो अंतरिक्ष में कई उपलब्धियां हासिल कर चुका है। साइकल से शुरू हुआ था सफर 15 अगस्त 1969 को डॉ. विक्रम साराभाई ने इसरो की स्थापना की थी। बताया जाता है, उस वक्त वैज्ञानिक लॉन्चिंग स्थल तक रॉकेट को साइकल पर लादकर ले गए थे। मिशन का दूसरा रॉकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी पर ले जाया गया था। पहले रॉकेट के लिए भारत ने नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था। उस समय हमारे वैज्ञानिकों के पास दफ्तर नहीं था। वे कैथोलिक चर्च सेंट मैरी के मुख्य कार्यालय में बैठकर सारी प्लानिंग करते थे। पूरे भारत में इसरो के 13 सेंटर हैं।