ग्रेनेड लिए आतंकियों से साथियों को बचाने के लिए खुद भिड़ गए थे कर्नल आशुतोष शर्मा, दो बार मिला वीरता मेडल

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में रविवार को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में सेना के 2 अफसर समेत 4 जवान और एक पुलिस इंस्पेक्टर शहीद हो गए। शहीदों में कर्नल आशुतोष शर्मा भी शामिल हैं। आशुतोष शर्मा के नेतृत्व में सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। 

Asianet News Hindi | Published : May 3, 2020 5:20 AM IST / Updated: May 03 2020, 02:35 PM IST

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ग्रेनेड लिए आतंकियों से साथियों को बचाने के लिए खुद भिड़ गए थे कर्नल आशुतोष शर्मा, दो बार मिला वीरता मेडल

आशुतोष शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर थे। उनकी बहादुरी के चलते उन्हें दो बार आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के लिए वीरता पुरस्कार भी मिल चुका है। 

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आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले 5 साल में एंकाउंटर में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले जनवरी 2015 में कर्नल एमएन राई ने घाटी में आतंकियों के खिलाफ  ऑपरेशन में अपनी जान गंवाई थी। 
 

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इसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक भी आतंकियों से लोहा लेते वक्त शहीद हुए थे। 

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आर्मी अफसरों के मुताबिक, आशुतोष शर्मा लंबे वक्त से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात हैं। उन्हें आतंकियों के खिलाफ बहादुरी के चलते 2 बार सेना मेडल मिल चुका है। 

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शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर रहते ग्रेनेड छिपाए आतंकी से अपने जवानों की जान बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया गया था। उन्होंने काफी पास से आतंकी को गोली मार कर ढेर कर दिया था।  (इसी घर में छिपे थे आतंकी।)

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शर्मा के अलावा हंदवाडा में मेजर अनुज शूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश भी शहीद हुए हैं। इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को भी ढेर कर दिया है। 

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कर्नल आशुतोष अपनी बेटी के साथ। (फाइल फोटो)

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