अगर यस बैंक में है आपका अकाउंट, जानें क्या होगा आपके पैसे का; जान लें ये महत्वपूर्ण बातें
नई दिल्ली. आरबीआई ने यस बैंक (YES Bank) से पैसा निकालने की सीमा निर्धारित कर दी है। साथ ही आर्थिक स्थिति में गिरावट के बाद आरबीआई ने 30 दिन के लिए बोर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। जैसे ही यह खबर सामने आई ग्राहकों को तमाम प्रकार की चिंताएं सताने लगी हैं। ग्राहकों में डर है कि अन्य बैंकों की तरह ही उनका यस बैंक में पैसा डूब ना जाए। इसी के चलते गुरुवार रात से ही यस बैंक की ब्रांचों और एटीएम के सामने लंबी लंबी लाइने लगने लगीं। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि खाताधारक को चिंता करने की जरूरत नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है। सरकार और आरबीआई बैंक को बचाने के लिए मिल कर काम कर रहे हैं। अगर आपका भी है यस बैंक में अकाउंट तो जान लें ये बातें
Asianet News Hindi | Published : Mar 6, 2020 12:24 PM IST / Updated: Mar 16 2020, 01:56 PM IST
RBI ने 30 दिनों तक पैसे निकालने की अधिकतम सीमा 50,000 रुपए रखी है। जिन लोगों का सैलरी अकाउंट यस बैंक में है और उनकी सैलरी 50 हजार से ज्यादा है तो उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था देखनी होगी।
जिस ग्राहक के यस बैंक में एक से ज्यादा अकाउंट हैं, वह सभी खातों में मिलाकर सिर्फ 50 हजार रुपए ही निकाल पाएगा।
अभी यस बैंक खाताधारक एक महीने में 50 हजार रुपए निकाल सकता है। लेकिन मेडिकल इमरजेंसी, एजुकेशन फीस या घर में शादी होने पर 5 लाख रु. निकाल सकते हैं।
आरबीआई ने साफ कर दिया है कि बैंक अपने 20 हजार कर्मचारियों को सैलरी देती रहेगी। इसके अलावा बैंक की जगह का किराया भी दे सकेगी। इसलिए अभी कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
नियमों के मुताबिक, अगर बैंक पूरी तरह से बंद हो जाती है तो ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन' के तहत 5 लाख रुपए मिलते हैं। लेकिन यह तभी होता है, जब बैंक को बचाने के प्रयास पूरी तरह से असफल हो जाते हैं। हालांकि, सरकार और आरबीआई का कहना है कि वे बैंक को बचाने की कोशिश में लगे हैं और ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है।
अगर ईएमआई, फंड ट्रांसफर, चेक, 50 हजार के अंदर के हैं तो नियमित रूप से पहले जैसा ही चलता रहेगा। अगर यह राशि 50 हजार से ज्यादा है तो वो बाउंस हो जाएगी। ऐसे में आपको ईएमआई, इंश्योरेंस की किस्त कटने का सोर्स का बदलना होगा।
बैंक किसी भी लोन या एडवांस को जारी या रिन्यू नहीं कर सकता। कोई भी निवेश करने, किसी भी प्रकार के भुगतान को स्वीकार नहीं कर पाएगा। अगले एक महीने तक यस बैंक रिजर्व बैंक की देखरेख में रहेगा। इसके लिए आरबीआई ने भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व डीएमडी प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक बनाया है।
RBI ने कहा कि बैंक को फिर से बहाल करने के लिए तेजी से काम किया जाएगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा, मैं भरोसा दिलाया हूं कि भारत का बैंकिंग सिस्टम सुरक्षित रहेगा।
इस स्थिति में अगर ऐसा होता है तो यह यस बैंक के लिए काफी अच्छी खबर होगी। एसबीआई देश का सबसे बड़ा ऋणदाता बैंक है और इसके मर्जर से ग्राहकों को संकेत मिलेगा कि यस बैंक सुरक्षित है।
यस बैंक की शुरुआत 2004 में हुई। इस बैंक को राणा कपूर और अशोक कपूर ने शुरू किया था। एक दशक में ही यह बैंक भारत में प्राइवेट सेक्टर का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया। बैंक तीन लाख करोड़ रुपए की एसेट वाली कंपनी बन गई। लेकिन बैंक संकट में 2018 में आई। उस वक्त आरबीआई को शक हुआ कि यस बैंक बैलेंसशीट और एनपीए में गड़बड़ी कर रहा है। इसके बाद आरबीआई ने कार्रवाई करना शुरू किया। साथ ही राणा कपूर को 31 जनवरी 2019 तक पद छोड़ने के लिए कहा गया था। कभी 1400 रुपए के शेयर वाली कंपनी का शेयर अब 20 रुपए से भी नीचे आ गया है।
यस बैंक की आर्थिक स्थिति खराब होने का बड़ा कारण एनपीए है। दरअसल, बैंक ने ऐसी कंपनियों को लोन दिया, उनमें ज्यादातर घाटे में आ गईं या दिवालिया हो गईं। बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें इंडिया बुल्स, डीएचएफएल, जेट एयरवेज, सीजी पावर, कैफे कॉफी डे भी शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर ने अपना कर्ज नहीं लौटाया।
यस बैंक को मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था। यह लगातार बढ़ता चला गया। 2018 में बैंक का कैपिटलाइजेशन 90 हजार करोड़ रुपए था, यह घटकर 9 हजार करोड़ रुपए रह गया।