जानिए कौन हैं शुभेंदु अधिकारी, जिन्होंने ममता को दिया जोर का झटका; कभी उनकी सरकार में थे नंबर 2

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल सरकार में नंबर 2 कहे जाने वाले तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया। शुभेंदु ने बुधवार को विधानसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसे टीएमसी और ममता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आईए जानते हैं कि कौन हैं शुभेंदु अधिकारी?

Asianet News Hindi | Published : Dec 16, 2020 11:35 AM IST

110
जानिए कौन हैं शुभेंदु अधिकारी, जिन्होंने ममता को दिया जोर का झटका; कभी उनकी सरकार में थे नंबर 2

शुभेंदु अधिकारी को हाल ही में गृह मंत्रालय ने जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी है। शुभेंदु अधिकारी पिछले कुछ समय से तृणमूल कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। इसी के बाद उनके टीएमसी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे। यहां तक कि भाजपा नेता रूपा गांगुली ने भी कह दिया है कि अगर अधिकारी भाजपा में शामिल होते हैं तो यह उनका स्वागत है। 

210

भगवा रंग में रंगा ऑफिस
शुभेंदु ने हाल ही में अपने क्षेत्र  पूर्व मेदिनीपुर के कांथी में एक ऑफिस खोला है। इसे भगवा रंग से रंगा गया है। इस ऑफिस को शुभेंदु बाबू सहायता केंद्र नाम दिया गया है। खास बात ये है कि शुभेंदु के करीबी कनिष्क पांडा ने भगवा ऑफिस के सवाल के जवाब में कहा कि यह रंग त्याग और सेवा का प्रतीक है। 

310

शुभेंदु अधिकारी  ममता सरकार में  परिवहन मंत्री थे। उन्होंने 27 नवंबर को मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा था कि मेरी पहचान यह है कि मैं पश्चिम बंगाल और भारत का बेटा हूं। मैं हमेशा पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए लडूंगा। उन्होंने उसी दिन ऐलान कर दिया था कि टीएमसी में रहकर काम करना संभव नहीं है।

410

शुभेंदु अधिकारी को जनाधार वाले एक प्रभावशाली नेता के तौर पर माना जाता है। शुभेंदु अधिकारी ने कांथी पीके कॉलेज से स्नातक में ही राजनीतिक जीवन में कदम रखा था। वे 1989 में छात्र परिषद के प्रतिनिधि चुने गए। शुभेंदु 36 साल की उम्र में पहली बार 2006 में कांथी दक्षिण सीट से विधायक चुने गए। 

510

इसके बाद वे इसी साल कांथी नगर पालिका के चेयरमैन भी बने। शुभेंदु 2009 और 2014 में तुमलुक लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने 2016 में नंदीग्राम विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने ममता ने मंत्री भी बनाया।

610

शुभेंदु का राजनीतिक करियर भले ही 1990 के दशक में शुरू हुआ हो, लेकिन उनका सियासी कद 2007 में बढ़ा। उन्होंने पूर्वी मिदनापुर के वर्ष 2007 के नंदीग्राम आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में शुभेंदु शिल्पी की भूमिका में रहे।

710

इस आंदोलन में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में कई लोगों की मौत के बाद आंदोलन और उग्र हो गया। इसके बाद तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार को झुकना पड़ा। नंदीग्राम और हुगली के सिंगूर में हुए आंदोलन ने तृणमूल कांग्रेस को बंगाल में पकड़ और मजबूत करने का मौका दिया। 

810

शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन, जल संसाधन और विकास विभाग तथा सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग मंत्री भी रहे। शुभेंदु पूर्वी मिदनापुर जिले के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
 

910

शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में रहे। वे 1982 में कांग्रेस के टिकट पर कांथी दक्षिण सीट से विधायक भी रहे। शिशिर अधिकारी तुमलुक लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे मनमोहन सिंह सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री भी रहे। शुभेंदु के भाई दिव्येंदु अधिकारी कांथी लोकसभा सीट से सांसद हैं।

1010

इन सीटों पर शुभेंदु का प्रभाव
पूर्वी मिदनापुर के अंतर्गत 16 विधानसीटें आती हैं। इसके अलावा पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों की करीब 5 दर्जन सीटों पर अधिकारी परिवार का प्रभाव माना जाता है। इतना ही नहीं नंदीग्राम आंदोलन में शुभेंदु के कौशल को देखते हुए ममता बनर्जी ने मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया में तृणमूल के विस्तार का काम सौंपा था। शुभेंदु ने इन जगहों पर पार्टी को मजबूत किया। इसके अलावा मुर्शिदाबाद और मालदा में भी शुभेंदु की अच्छी पकड़ बताई जाती है। 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos