वाह रे किसान! 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी को इन्होंने किया लहूलुहान, लालकिला में देर तक सहमें छिपे रहे 250 बच्चे

नेशनल डेस्क. Farmers Violence In Delhi: कृषि बिलों के खिलाफ लगातार 3  महीनों से चल रहा किसान आंदोलन रिपब्लिक डे (Republic day 2021) पर उग्र हो गया। 26 जनवरी को शांतिपूर्ण ट्रैक्टर रैली की बात कह किसानों ने दिल्ली में हुड़दंग काट दिया। अन्नदाता का ये हिंसक रूप देख पूरे देश में शोक का मौहाल है। गणतंत्र दिवस के मौके पर मारकाट और हिंसा ने इसे इतिहास में काला दिन घोषित करवा दिया है। इस हिंसा का सबसे बुरा प्रभाव पुलिसकर्मियों पर पड़ा है जो उनकी सुरक्षा में ड्यूटी पर तैनात किए गए थे। न्यूज एंजेसी ANI के मुताबिक इस हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों की संख्या 300 से भी ज्यादा हो गई है। दिल्ली पुलिस ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर किसान रैली हिंसा के वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं। एक न्यूज जर्नलिस्ट ने बताया कि जब किसान पत्थरबाजी, आग के गोले बरसा रहे थे तब परेड में शामिल होने आए 250 बच्चे डरे-सहमे लाल किले में छुपे बैठे थे। भयानक मंजर की पूरी कहानी हम आपको सुना रहे हैं आपको किसानों का 'आंतकवादियों' जैसा सुलूक देख सोचने पर मजबूर कर देगी- 

Asianet News Hindi | Published : Jan 27, 2021 6:14 AM IST / Updated: Jan 27 2021, 11:56 AM IST

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वाह रे किसान! 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी को इन्होंने किया लहूलुहान, लालकिला में देर तक सहमें छिपे रहे 250 बच्चे

दिल्ली पुलिस ने बताया गया कि सैकड़ों पुलिसकर्मी आईटीओ और लाल किले में किसानों से टकराव के दौरान घायल हुए हैं। पुलिसकर्मियों को एलएनजेपी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। 

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किसानों को काबू करने में लगे पुलिसकर्मी खुद हिंसा का शिकार हो गए। किसी के सिर पर लाठी मारी गई, किसी को 10-12 लोगों ने मिलकर पीट लिया।

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कुछ पुलिसकर्मी जान बचाने हाथ जोड़ते नजर आए लेकिन उग्र प्रदर्शनकारी ने रहम नहीं दिखाया और सुरक्षा में तैनात जवानों को लहूलुहान कर दिया। 

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दिल्ली में 26 जनवरी को चल रही रैली में किसानों ने पूरी दिल्ली को हिला के रख दिया। किसानों के दंगाई रूप ने राजधानी में बवाल मचा दिया। दिल्ली के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार ने कहा कि ट्रैक्टर रैली में पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर हिंसा का नजारा देख लोग उन्हें अन्नदाता नहीं उग्रवादी बुला रहे हैं। फोटो सोर्स- ट्विटर

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प्रोटेस्ट और रैली में शामिल युवा महिला पुलिस कर्मियों तक के साथ बदसलूकी/मारपीट करने से बाज नहीं आए। इसके वीडियो ट्विट, फेसबुक सभी जगह वायरल हैं। फोटो सोर्स- ट्विटर

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ABP न्यूज पत्रकार ने ट्विटर पर एक और भायवह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि, 250 बच्चे, जो 26 जनवरी की परेड में हिस्सा लेने आए थे, वे लाल क़िले में फंस गए थे, डरे सहमे बच्चे क़रीब तीन घंटे तक ठिठुरते हुए किले में छिपे रहे, रोते रहे, बिलखते रहे, आंदोलनकारियों के हुड़दंग को देख डर से कांपते रहे फिर पुलिस ने उन्हें रेस्क्यू किया और सुरक्षित पहुंचाया। 

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आंदोलनरत किसानों ने दिल्ली में सरकार के खिलाफ हिंसक कदम उठाने में हदें पार कर दीं। ट्रैक्टर परेड दौरान कई जगहों पर हिंसा हुई है। 

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सबसे पहले तो किसानों ने ये पुलिस और सुरक्षातंत्र के साथ धोखेबाजी की, वो रैली में तय रूट को ना मानते हुए आईटीओ और लाल किले जा पहुंचे। लाल किले पर कुछ किसानों ने अपना झंडा भी फहरा दिया। जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज करते हुए आंसू गैस के गोले दागे।

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दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने रखे बैरिकेड्स को किसानों ने ट्रैक्टर से तोड़ डाला। पुलिस वाहनों को भी किसानों ने क्षतिग्रस्त किया गया, टैंकर और आंसू गैस की गाड़ियों पर चढञकर किसान ने तोड़फोड़ की। 
 

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आईटीओ में कुछ प्रदर्शनकारी एक पुलिसकर्मी को निर्ममता से पीट रहे थे। इसकी तस्वीरें बेहद भयानक और दर्दनाक हैं। ट्रैक्टर पर बैठे प्रदर्शनकारी ने पुलिसकर्मियों पर ट्रैक्टर चढ़ाकर आगे बढ़ने की कोशिश की।  

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आईटीओ में खड़ी सरकारी बसों में तोड़फोड़ की गई। यही नहीं, आईटीओ में ही डीटीसी बस को पलटने का प्रयास हुआ। घोड़े पर बैठे निहंगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दिया। इस हिंसक प्रदर्शन ने 72वें गणतंत्र दिवस को ‘काला दिवस’ के रूप में देकर पूरे देश का सिर शर्म से झुका दिया। 

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