फांसी से पहले फंदे पर लगाएंगे मक्खन, बिहार के बक्सर से आया है निर्भया के दरिंदों का फंदा

नई दिल्ली. देश में हुए वीभत्स निर्भया गैंगरेप केस में बड़ी खबर सामने आ रही है कि 1 फरवरी को फांसी पर रोक लगा दी गई है। अनिश्चितकाल के लिए अभी चारों दोषियों की फांसी पर रोक लग गई है। साल 2020 में 1 फरवरी को निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी होनी थी। इसके साथ ही करीब सात साल पुराना ये मामला पीड़िता को न्याय के साथ बंद हो जाएगा। हम आपको फांसी दे जाने के समय की प्रक्रिया बता रहे हैं कि कैसे एक लाल लिफाफे में कैदी को मौत का पैगाम भेजा जाता है। फांसी से जुड़ी ये बातें  जानकर लोग दंग रह जाते हैं.....।

Asianet News Hindi | Published : Jan 10, 2020 7:19 AM IST / Updated: Jan 31 2020, 06:25 PM IST

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फांसी से पहले फंदे पर लगाएंगे मक्खन, बिहार के बक्सर से आया है निर्भया के दरिंदों का फंदा
नियमों के अनुसार डेथ वारंट जारी होने के बाद इसकी सूचना एक लाल लिफाफे में दोषियों के परिजनों को दी जाती है।
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यह लिफाफा उन्हें किस तारीख को कितने बजे सौंपा गया, इसका विवरण भी दर्ज होता है। दोषियों को परिजनों से मिलने की छूट भी दी जाती है। इस दौरान वे अपनी वसीयत या दूसरी चीजें परिजनों को सौंप सकते हैं।
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डेथ वारंट जारी होने के बाद जेल प्रशासन का काम होता है कैदियों को मानसिक रूप से मौत के लिए तैयार करना। उन्हें एक अलग कोठरी में शिफ्ट किया जाता है और उनकी लगातार निगरानी की जाती है।
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वे आपस में मिल भी सकते हैं। इस मुलाकात के दौरान भी उन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है कहीं कैदी लड़-झगड़ न बैठें या खुद को कुछ नुकसान न पहुंचा लें। (फाइल फोटो)
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डेथ वारंट से फांसी होने तक दोषी कैदियों की लगातार काउंसलिंग की जाती है। उन्हें सादा खाना और एक जोड़ी कपड़े मिलते हैं। अगर वे चाहें तो धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी सुन सकते हैं। इस बात का काफी ध्यान रखा जाता है कि वे शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार न पड़ें। (फाइल फोटो)
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फांसी देने के लिए विशेष रस्सी का इंतजाम किया जाता है। यह रस्सी सिर्फ बिहार की बक्सर जेल में बनती है और इसे मनीला रोप कहा जाता है। (फाइल फोटो)
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बताया जाता है कि पहले यह फिलीपींस की राजधानी मनीला से मंगाई जाती थी इसलिए उसका यह नाम पड़ा। बक्सर जेल के कैदियों को इस रस्सी को बनाने की खास ट्रेनिंग मिलती है। (फाइल फोटो)
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एक साक्षात्कार में बक्सर जेल के अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा कहते हैं, ‘यहां लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते रहे हैं। एक फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है।’ उनके मुताबिक पांच-छह कैदी दो-तीन दिन में इसे तैयार करते हैं। बताया जा रहा है कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने ऐसे 12 फंदे मंगाए हैं। (मनीला रोप की फाइल फोटो)
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फांसी देने से पहले रस्सी पर मोम या मक्खन लगाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि यह गर्दन को छीले नहीं बल्कि आराम से दबाव बनाए। फांसी देते वक्त सब काम इशारों में ही होता है ताकि कैदी विचलित न हो। फांसी के बाद चिकित्सक शव की जांच करके मौत की पुष्टि करते हैं। (पवन जल्लाद की फाइल फोटो)
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डेथ वारंट के साथ ही दिल्ली की तिहाड़ में चारों दोषियों को फांसी देने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यहां चारों को एकसाथ फांसी दी जाएगी जिसके लिए तख्त तैयार हो चुका है। (तिहाड़ जेल कैदियों कीफाइल फोटो)
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