बलात्कारी की मां ने कहा, मेरे बेटे को बख्श दो, निर्भया की मां बोलीं, 7 साल तक रोकर हो गई हूं पत्थर
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने की तारीख तय हो गई है। चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी। फांसी को लेकर तिहाड़ जेल में तैयारियां शुरू हो गई हैं।7 जनवरी को दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने आदेश सुनाया। उस दौरान कोर्टरूम में निर्भया के माता-पिता और दोषियों के परिजन भी मौजूद थे। वहां एक लम्हा ऐसा भी आया, जब दोषी मुकेश सिंह की मां निर्भया की मां के पास पहुंचीं और अपने बेटे की जिंदगी बख्श देने की गुहार लगाई। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह कैसे भूल सकती हैं जो उनकी बेटी के साथ कुछ हुआ था।
Asianet News Hindi | Published : Jan 9, 2020 8:49 AM IST / Updated: Jan 09 2020, 03:15 PM IST
निर्भया की मां ने कहा, 'जब मुकेश सिंह की मां मेरे पास आईं और मुझसे अपने बेटे की जिंदगी बख्श देने की गुहार लगाई तो मेरे अंदर कोई भावना नहीं थी। 7 साल पहले हमने अपनी बेटी को खो दिया। घटना के बाद उसे मैंने जिस हालत में देखा था वो पल मैं आज भी नहीं भूल पाई हूं।
उसका शरीर खून से लथपथ था। उसके शरीर पर कई जख्म थे। ऐसा लग रहा था कि जैसे उस पर जानवरों ने हमला किया हो। मैंने 7 साल खून के आंसू बहाए हैं। अब मुझे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता है कि कोई रो रहा है या दया की भीख मांग रहा है क्योंकि 7 साल रोने के बाद अब मैं पत्थर बन चुकी हूं। मैं कुछ भी महसूस नहीं करती। ये न्याय देश की हर बेटी की सुरक्षा से जुड़ा है। '
निर्भया के पिता ने कहा, 'जिस तरह से हमारे जीवन से हमारी बेटी अलग हुई, उसे कोई नहीं भूल सकता। उन कड़वी यादों के साथ नहीं रह सकता। ये दर्द ताउम्र हमारे साथ रहेगा। अब जब दोषियों को फांसी होगी तो ये समाज को बड़ा संदेश देगी, खासकर अपराधियों को कि वह कानून से बच नहीं सकते।'
16 दिसंबर, 2012 को निर्भया अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर घर लौट रही थी। पश्चिम दिल्ली के पास दोनों एक प्राइवेट बस में सवार हुए। बस में 6 लोग मौजूद थे। हैवानों ने चलती बस में निर्भया से गैंगरेप किया और हैवानियत की सभी हदों को पार कर करते हुए दरिंदगी की घटना को अंजाम दिया।
जिसके बाद से पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल बना हुआ था। वहीं, निर्भया ने अस्पताल में कई दिनों तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ा। निर्भया को बचाने के लिए हर कोशिश की गई लेकिन 29 दिसंबर को वह जिंदगी की जंग हार गई। जिसके बाद से पूरे देश को न्याय का इंतजार था।