इस कंपनी ने बनाई अटल टनल, सरदार पटेल की प्रतिमा से भी लगा कम स्टील, 14 लाख क्यूविक मी. मिट्टी की हुई खुदाई

Published : Oct 02, 2020, 04:18 PM ISTUpdated : Oct 03, 2020, 10:31 AM IST

नई दिल्ली. हिमाचल के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी रोड सुरंग अटल सुरंग (Atal Tunnel) बनकर तैयार हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को इसका उद्घाटन किया। यह टनल मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किमी की दूरी को कम करेगा। अब टनल से यह दूरी 4 घंटे की बजाय 10 मिनट में पूरी हो जाएगी। टनल सामरिक रूप से भी काफी अहम है। चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के मौजूदा रिश्तों को देखकर टनल का शुरू होना देश के लिए अच्छा माना जा रहा है। इस टनल को बनाने में सरदार पटेल की प्रतिमा से आधा स्टील लगा है। ऐसे में आइए बताते हैं कि इसे किसने बनाया है और किन चीजों का कितना इस्तेमाल हुआ है।

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इस कंपनी ने बनाई अटल टनल, सरदार पटेल की प्रतिमा से भी लगा कम स्टील, 14 लाख क्यूविक मी. मिट्टी की हुई खुदाई

अटल टनल को एफकोन्स कंपनी द्वारा बनाया गया है। इसे बनाने में 1000 वर्कर और 150 इंजीनियर लगे हुए थे। इस पुल का इंजीनियरिंग डिजाइन ऑस्ट्रेलिया की इंजीनियरिंग कंपनी स्नोवे माउनटेन ने किया है। 

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इस टनल को बनाने में 14,508 मैट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है। जबकि, सरदार पटेल की प्रतिमा से इसे कम बताया जा रहा है। सरदार पटेल की प्रतिमा में 2.42 करोड़ किलोग्राम स्टील, 2.25 करोड़ किलोग्राम सीमेंट और 50 लाख किलोग्राम लोहे का इस्तेमाल हुआ था। 

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इसके साथ ही टनल में 2,37596 मैट्रिक टन सीमेंट और इसे गुफा की तरह बनाने में 14 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी, चट्टान भी खोदे गए। इस टनल को गुफा का लुक न्यू ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मैथेड द्वारा दिया गया है। 

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अटल टनल की गराई 2.5 किमी है और साउथ पोर्टल साइड से सबसे लोवेस्ट ओवरबर्डन 1.5 किमी है। जिस टीम ने टनल का निर्माण किया है। उसी ने दुनिया की सबसे ऊंची सिंगल रेलवे ब्रिज जम्मू-कश्मीर के चिनाब में बनाई है।

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मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि जिस जगह पर टनल का निर्माण किया गया है, वहां उस टनल के चारों ओर 13 हिमस्खलन क्षेत्र हैं। फिर भी 10 साल के इस प्रोजेक्ट के दौरान कोई दुर्घटना नहीं हुई। 

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इस टनल का प्रोजेक्ट एफकोन्स और स्ट्राबैग ऑफ ऑस्ट्रीया को 1458 करोड़ में दिया गया था। इसका काम सितंबर 2009 में शुरू किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1983 में इंदिरा गांधी की सरकार ने मनाली और लेह के बीच सड़क बनाने की कल्पना की थी।

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लेकिन, 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस टनल को बनाने की घोषणा कर दी थी और इस टनल के लिए इसकी नींव रख दी गई थी। इसके बाद इसे बनाने की प्रक्रिया सितंबर 2009 में शुरू हुई, जिसके 10 साल बाद ये अब बनकर तैयार हो चुकी है और इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। 
 

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