साइंटिस्ट मनीष मेहता की टीम ने ऋषिगंगा के अपर कैचमेंट एरिया, उत्तरी नंदा देवी ग्लेशियर, त्रिशूल, दक्षिणी नंदा देवी और कई क्षेत्रों में ग्लेशियर्स के पिघलने के पैटर्न की स्टडी की है। उनका कहना है कि कुछ ही वर्षों में उनके आकार में 10 फीसदी तक की कमी आई है। इसका मतलब है कि उनकी मेल्टिंग की प्रॉसेस तेज गति से जारी है।