एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद पवार के करीबी के मुताबिक, पवार को अपने 50 साल के राजनीतिक अनुभव से इसका अंदाजा था कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उन्हें विधानसभा परिषद के लिए नामित नहीं करेंगे। इसके पीछे कुछ वैधानिक वजह भी हैं। उन्हें यह भी पता था कि इसके लिए राज्यपाल को बाध्य नहीं किया जा सकता। पवार ने ही महाविकास अघाड़ी के मंत्रिमंडल को विधानपरिषद में नामित करने का प्रस्ताव भेजा। साथ ही राज्यभवन भेजकर गुहार ही लगाई। इसके अलावा वे उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर नितिन गडकरी के संपर्क में भी थे।