जाकिर हुसैन जब 29 साल के थे, तब इन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया विवि का वाइस चांसलर बना दिया गया था। जब राष्ट्रपति पद के लिए इनका नाम चला, तो विपक्षियों ने कहा कि ये मुस्लिम हैं, इसलिए जनता इन्हें स्वीकार नहीं करेगी। लेकिन जयप्रकाश नारायण ने नाराजगी जताई। कहा कि अगर जाकिर साहब राष्ट्रपति नहीं बने, तो देश की कौमी एकता के लिए ठीक नहीं होगा। देश दो टुकड़ों में बंट जाएगा। आखिरकार जाकिर की जीत हुई।
(इंदिरा गांधी के साथ जाकिर हुसैन)