कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की इस बेटी ने UPSC में लहराया परचम, हर दिन करती थी 12 घंटे पढ़ाई

श्रीनगर. यूपीएससी एग्जाम का रिजल्ट 4 अगस्त को जारी किया गया। इसमें कई स्टूडेंट्स को सफलता मिली। इस लिस्ट में कश्मीर की नादिया बेग ने 23 साल की उम्र में यूपीएससी में परचम लहराया। नादिया ने 350 वी रैंक हासिल की है। नादिया अपने इलाके की पहली ऐसी लड़की हैं, जिसने यूपीएससी में सफलता हासिल की है। अपनी दूसरी कोशिश में मिली सफलता को लेकर नादिया का मानना है कि अगर सही वक्त पर सही दिशा में कदम बढ़ाएं जाए तो इंसान की कोशिशें जरूर रंग लाती है। इन कोशिशों में सिर्फ टैलेंट ही जीतता है, बाकी सारे फर्क अपनेआप खत्म हो जाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2020 3:14 AM IST

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कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की इस बेटी ने UPSC में लहराया परचम, हर दिन करती थी 12 घंटे पढ़ाई

नादिया संघर्षों को लेकर कहती हैं कि वो नार्थ कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के पुंजवा गांव से हैं। इल्म की बातें और तालीम की कद्र उनके परिवार में शुरू से है। उनके पिता टीचर हैं और दो बहनें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट हैं। उन्होंने अपनी प्राइमरी एजुकेशन विलगाम के पब्लिक स्कूल और सेकंडरी एजुकेशन सरकारी स्कूल से पूरी की। उन्हें और बहनों को घर में इस बात की पूरी आजादी है कि वो जो चाहें कर सकती हैं। उनके पैरेंट्स ने हमेशा करियर को संवारने में उनकी मदद की है।

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इसके बाद नादिया ने दिल्ली आकर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई के दौरान उन्हें ये लगने लगा कि उनकी रूचि पॉलिसी मेकिंग और एडमिनिस्ट्रेशन में है। उनके सपनों को जामिया मिलिया में उड़ान मिली। यहां पढ़ाई करते हुए उनकी सोच भी बदली। वो यहां पूरी दुनिया के लोगों से मिलीं जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

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जब नादिया ने UPSC की तैयारी का मन बनाया तभी से यह सोच लिया था कि परीक्षा में सफल होने के लिए रोज खूब पढ़ना जरूरी है। 2017 के बाद से अब तक उनका हर एक दिन पढ़ाई करते हुए बीता है। उन्होंने रोज 12 घंटे पढ़ाई की। जब उन्हें इस बात का यकीन नहीं हो गया कि अब तो वो कामयाब हो जाएंगी, तब तक उन्होंने पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं किया।
 

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जब लोग पूछते हैं कि क्या उन्हें यकीन था कि वो परीक्षा में सफल हो जाएंगी तो वो यही कहती हैं कि, यही बात तो यूपीएससी की खासियत है। जिस भी स्टूडेंट को नंबर वन रैंकिंग मिली है, उसे भी यह नहीं मालूम होगा कि वह इस मुकाम को हासिल कर पाएगा। वो अपने पहले प्रयास में पहले राउंड में ही बाहर हो गई थीं, लेकिन फिर मेहनत की और अब सफल होकर दिखा दिया। उनकी जी-जान से की गई मेहनत का असर नतीजों के रूप में निकल कर आया और वो मानती हैं कि हर एक स्टूडेंट के साथ ऐसा हो सकता है। आज के दौर में टेक्नोलॉजी की नई चीजें उनके लिए खासतौर पर मददगार हैं और इससे निश्चित रूप से आने वाले दिनों में अच्छी सफलता हासिल की जा सकती है।

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नादिया आगे कहती हैं कि जाहिर तौर पर घाटी का माहौल पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने वाला नहीं है। अगर वो उसी माहौल में रहतीं तो उनके लिए आगे बढ़ पाना मुश्किल होता। इसलिए अच्छी तैयारी के लिए उन्होंने जामिया मिलिया अकेडमी की रेसीडेंशियल कोचिंग ज्वॉइन की। उनकी सक्सेस का क्रेडिट उन्हें भी जाता है। वो अगले साल फिर इस एक बार इस परीक्षा में बैठेंगी और अपनी रैंकिंग इम्प्रूव करेंगी। इस एग्जाम की तैयारी करने वाले सभी साथियों को उनकी सलाह है कि आपके अंदर लगन, यकीन और जज्बा जरूरी है। इन तीनों चीजों को अपनी ताकत बना लिया तो आप यकीनन कामयाबी पा सकते हैं'।

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नादिया के पैरेंट्स के लिए अपनी बेटी की ये उपलब्धि नई बुलंदियों की तरह है। नादिया के पिता कहते हैं कि 'उनका यकीन है कि बच्चों के फैसलों को कभी गलत नहीं मानना चाहिए। हर पढ़ने-लिखने वाला स्टूडेंट अपने आने वाले कल का सही फैसला लेने में सक्षम है। बस, पैरेंट्स को उनका साथ देकर हौसला अफजाई करना चाहिए'।

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