निर्भयाः दोषियों को मौत देने में न हो कोई चूक;जल्लाद के बगैर तिहाड़ जेल में डमी को लटकाया फांसी पर
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों के मौत का पैगाम जारी होने के बाद से तिहाड़ जेल उनकी मौत में किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहता है। जिसका नतीजा है कि तिहाड़ जेल में रविवार को निर्भया गैंग रेप केस के चारों दोषियों की डमी को फांसी दी गई। यह प्रक्रिया दोषी को फांसी देने के पहले की रिहर्सल मानी जाती है। चारों दोषियों की डमी उनके वजन के हिसाब से तैयार की गई। जेल में ही पत्थरों और मलबे से हर दोषी के वजन के बराबर बनी डमी को फांसी दी गई। हालांकि इस प्रक्रिया के लिए जल्लाद नहीं बुलाया गया और जेल अधिकारियों ने ही इस प्रक्रिया को अंजाम दिया।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार यानी 7 जनवरी को निर्भया की मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए डेथ वारंट जारी किया था। जिसमें चारों दुष्कर्मियों अक्षय ठाकुर (31), पवन गुप्ता (25), मुकेश सिंह (32) और विनय शर्मा (26) को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। चारों दोषियों को जेल नंबर 3 में फांसी दी जाएगी। तीन दोषी जेल नंबर 2 में रखे गए हैं और एक को जेल नंबर 4 में रखा गया है।
निर्भया गैंगरेप के चार गुनहगारों में से विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला लिया है। जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, आर. भानुमति और अशोक भूषण की बेंच 14 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई करेगी।
16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की घटना को अंजाम दिया था। इस दरिंदगी के 10 दिन बाद यानी 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों क्रमशः राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी।
मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है। जिसके बाद अब इन चार दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा।