एक-एक सांस के लिए तड़प रहा है सफाई कर्मी का बच्चा, पास बैठ सारी रात बिलख-बिलख कर रोती है मां

Published : Dec 18, 2019, 06:18 PM IST

मुंबई. अपने बच्चे को अस्पताल में जिंदगी और मौते से जूझते देख किसी भी मां का कलेजा फट जाए। वेंटिलेटर पर पड़े 3 महीने के इस बच्चे ने पिछले 10 दिनों से अपनी आंखे नहीं खोली हैं। वो एक-एक सांस के लिए तड़प रहा है। अस्पताल में ईलाज करवा रहे मां-बाप डॉक्टरों के मुंह ताक रहे हैं। 

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एक-एक सांस के लिए तड़प रहा है सफाई कर्मी का बच्चा, पास बैठ सारी रात बिलख-बिलख कर रोती है मां
दिल दहला देना वाला ये मामला कोलकाता का है। बिहार के रहने वाले शंकर यहां एक सफाईकर्मी के रूप में काम करते हैं। पत्नी किरण दोनों बच्चों को लेकर उनके पास कुछ दिन रहने आई थी। ये एक सर्प्राइज था जो जी का जंजाल बन गया। सफर के दौरान सर्दी लगने से नवजात बच्चे को न्यूमोनिया हो गया और उसको सांस लेने में तकलीफ होने लगी। वो अब वेंटिलेटर पर है। उसकी हालत देख मां-बाप की सांसे अटकी हुई हैं।
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बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, कफ जमा हो गया है। डॉक्टरों का कहना है कि, बच्चे को लगभग 15 दिन के लिए पीआईसीयू (PICU) में रखना होगा ताकि उसका हाई टैक्नोलॉजी से इलाज हो सके। इसके लिए उसके मां-बाप को 4 लाख रुपये जमा करने होंगे। अगर ऐसा जल्दी नहीं किया तो बच्चे के फेफड़ों में पानी भर जाएगा और वह जीवित नहीं बचेगा।
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पिता शंकर ने बताया कि, 4 लाख सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। महीने के मात्र 3 हजार रुपिता शंकर ने बताया कि, 4 लाख सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। महीने के मात्र 3 हजार रुपये कमाने वाला मैं सफाईकर्मी कैसे एक दिन में 4 लाख रुपये जमा कर सकता हूं। पये कमाने वाला मैं सफाईकर्मी कैसे एक दिन में 4 लाख रुपये जमा कर सकता हूं।
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शंकर ने बताया कि, इसकी मां का रोते-रोते बुरा हाल है। जब आयुष बीमार हुआ तो हम अपनी बेटी को घर में ही छोड़कर बच्चे को अस्पताल ले आए। बेटी अभी भी घर पर अकेली है, हम कई रातों से अस्पताल में ही है। 9-10 दिन से हमारे बच्चे ने आंखें नहीं खोली हैं।शंकर ने बताया कि, इसकी मां का रोते-रोते बुरा हाल है। जब आयुष बीमार हुआ तो हम अपनी बेटी को घर में ही छोड़कर बच्चे को अस्पताल ले आए। बेटी अभी भी घर पर अकेली है, हम कई रातों से अस्पताल में ही है। 9-10 दिन से हमारे बच्चे ने आंखें नहीं खोली हैं।
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शंकर आगे कहा- इसकी मां सारी रात जागती रहती है ताकि बच्चा आंखे खोले तो तो वो देख सके, वो रोती रहती है, चिल्लाती है मेरा बच्चा कब जागेगा, कब मुझे देखेगा, इसे जगाओ, ठीक करो, मेरे बच्चे को बचा लो। वो पागलों की तरह कहती है कि मेरा बच्चा मेरी आवाज सुन रहा है लेकिन देख क्यों नहीं रहा। उसने नन्ही सी जान को बचाने के लिए अपना मंगलसूत्र भी बेच दिया है।
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बिहार के रहने वाले शंकर दुनिया के सामने हाथ फैलाने को मजबूर हो गए हैं। वह चाहते हैं कि लोग उनकी मदद करे ताकि वो अपने बच्चे को पीआईसीयू पर रखवाने के लिए 4 लाख रुपये इकट्ठा कर सकें। इसलिए उनकी पत्नी आंचल फैला लोगों ने पैसे मांग रही हैं।
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ये भीख नहीं मां की ममता को महफूज रखने के लिए है जो लोग सोशल मीडिया पर उनकी मदद भी कर रहे हैं। आप भी मदद करना चाहते हैं तो मिलाप संस्था पर जाकर कुछ धनराशि दान कर सकते हैं।

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