कौन थी निर्भया, जिसने पूरे देश को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आज करीब 7 साल बाद निर्भया के दोषियों को फांसी मिलने के बाद पूरे देश ने इस न्याय को महसूस किया है। निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 को राजधानी में यह घटना हुई थी। निर्भया 13 दिन जिंदा रही थी, लेकिन इस दौरान उसने हर रोज मौत को जिया था। दोषियों ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी थी, इससे उसकी आंते बाहर आ गई थीं। यहां तक की निर्भया के शरीर में ऐसा कोई हिस्सा नहीं था, जहां काटने का निशान ना हो। निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा देश सड़कों पर उतर आया था।
आईए जानते हैं कौन थी निर्भया?: निर्भया सिर्फ एक नाम नहीं है, यह उन तमाम महिलाओं के लिए हिम्मत है, जो किसी ना किसी तरह से उत्पीड़न झेलती हैं। निर्भया का जन्म 10 मई 1989 को दिल्ली में हुआ था।
निर्भया की मां बताती हैं कि 1985 में बद्रीनाथ सिंह पांडे से उनकी शादी हुई। शादी के बाद बलिया से पति-पत्नी दिल्ली चले गए। जहां उनके पति ने दिल्ली के तितारपुर इलाके में एक प्रेशर कुकर की फैक्ट्री में काम शुरू किया।
निर्भया के जन्म पर उनके पति ने 1000 रुपए की मिठाई बांटी थी। निर्भया और उसके दो भाई द्वारका के सेक्टर 8 के दो कमरों के घर में पले बढ़े।
निर्भया का असली नाम ज्योति सिंह था। हालांकि, पहले कोर्ट ने सही पहचान छापने से मना कर दिया था। लेकिन निर्भया की मां ने साफ कर दिया था कि उनकी बेटी की पहचान ना छिपाई जाए।
निर्भया अपने परिवार के साथ पालम में रहती थीं। 12वीं की परीक्षा के बाद निर्भया ने पीएमटी की तैयारी की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद निर्भया ने देहरादून में फिजियोथैरेपी इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया।
इसके बाद निर्भया 2012 में दिल्ली लौट आईं। यहां वे गुरुग्राम में इंटरशिप कर रही थीं।
6 दिसंबर 2012 की रात निर्भया अपने दोस्त के साथ साकेत, साउथ दिल्ली से फिल्म देखकर लौट रहे थे। यहां वे मुनरिका में प्राइवेट बस में सवार होते हैं। इसी बस में निर्भया के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया गया था।
मां ने बताया, 16 दिसंबर 2012 की शाम को बेटी कहकर गई थी कि वह 2-3 घंटे में वापस आ जाएगी।
16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी। दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे।
इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था। जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
जब निर्भया की मृत्यु हुई तो उन्होंने यह तक माना था कि उन्हें इस बात का भी डर सता रहा था कि उनके पास बेटी के दाह संस्कार तक के लिए पैसे नहीं हैं। वे हिम्मत हार चुके थे।
निर्भया की मां बताती हैं कि लोगों का साथ मिलने के बाद उनमें हिम्मत आई। निर्भया की मौत के बाद पूरे देश में लोगों ने प्रदर्शन किए थे। देखते ही देखते निर्भया को न्याय दिलाने के लिए एक जनआंदोलन खड़ा हो गया था।
भारत के हर छोटे बड़े शहर में निर्भया को न्याय दिलाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया। लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए। कैंडल मार्च निकाले।
कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी ठहराया था। एक नाबालिग था, जिसे 3 साल सुधारगृह में रहने के बाद छोड़ दिया गया। वहीं, एक अन्य दोषी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगा ली। अब चार दोषियों को फांसी दी गई।
2651 दिन बाद अब निर्भया को न्याय मिल गया। यह न्याय निश्चित ही पूरे देश को सुकून देगा।