शादी के 10 महीने बाद ही छिन गया सुहाग, सेना में भर्ती होकर पूरा किया शहीद पति का सपना

नई दिल्ली. आज महिला दिवस है। महिलाएं हमारे समाज के लिए प्रेरणा देने का काम करती रहीं हैं। भारत में महिलाओं ने कई ऐसे उदाहरण समाज के सामने रखे हैं, जो मिसाल पेश कर रहे हैं। कभी संघर्ष तो कहीं परिवार और समाज की बंदिशों को तोड़कर महिलाओं ने अपने आप को साबित किया है। इस मौके पर हम आपको ऐसी ही एक महिला के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने पति के शहीद होने के एक साल के भीतर ही सेना जॉइन कर देश सेवा के प्रति अपने जुनून को सबके सामने रख दिया। वे आज उन लाखों महिलाओं के लिए मिसाल हैं, जो देश सेवा का जज्बा अपने अंदर रखती हैं...

Asianet News Hindi | Published : Mar 8, 2020 5:35 AM IST

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शादी के 10 महीने बाद ही छिन गया सुहाग, सेना में भर्ती होकर पूरा किया शहीद पति का सपना
देश का शीश गर्व से ऊंचा रखने के लिए ना जाने कितने जाबांजों ने अपनी जान न्योछावर कर भारत का मान बनाए रखा। पिछले साल पुलवामा हमले के बाद जैश ए मोहम्मद के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में मुठभेड़ के दौरान मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे। अब उनके इस सपने को पूरा करने के लिए उनकी पत्नी भी वर्दी में नजर आएंगी। मेजर विभूति की पत्नी निकिता ने सेना में शामिल होने के लिए सभी जरूरी परीक्षाएं भी पास कर ली हैं।
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14 फरवरी को जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली थी।
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इसके बाद पूरी घाटी में जैश के खिलाफ ऑपरेशन चलाया गया था। इस दौरान 18 फरवरी को मुठभेड़ के दौरान आतंकियों से लोहा लेते वक्त मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे। शहीद मेजर की पहली बरसी पर पत्नी ने सेना में अफसर बन उन्हीं की राह पर चलने का फैसला किया है।
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मेजर विभूति की शहादत की खबर सुन हर कोई दुखी था। उन्हें अंतिम विदाई देते वक्त मानों पूरा उत्तराखंड उमड़ पड़ा था। पत्नी निकिता ने पति को आई लव यू विभू कहकर अंतिम विदाई दी थी।
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इसके बाद उन्होंने भी पति की तरह सेना में भर्ती होने की इच्छा जताई थी। इसके बाद सेना ने उनकी मदद की। इसके बाद कई औपचारिक टेस्ट और इंटरव्यू हुए। अब बताया जा रहा है कि निकिता ने इन्हें पास कर लिया है। वे जल्द ही सेना जॉइन कर लेंगी।
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मेजर विभूती पौड़ी के ढौंडी गांव के रहने वाले थे। उनके पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के चार बेटे थे। इनमें तीन बेटियां और एक बेटा विभूति था।
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विभूति के परिवाल वाले बताते हैं कि उनका बचपन से ही सपना था कि वे सेना में जाएं। इसके लिए उन्होंने सातवीं से ही इसकी तैयारी कर दी थी। राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज की परीक्षा में वे पास नहीं हो पाए थे। इसके बाद उन्होंने एनडीए की परीक्षा दी। लेकिन इसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली।
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इसके बाद भी विभूति ने हार नहीं मानी। उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन हुआ। 2012 में उन्होंने सेना में कमीशन पाया। मेजर विभूति और निकिता की शादी 18 अप्रैल 2018 को हुई थी।
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लेकिन किसे पता था कि शादी से सिर्फ 10 महीने बाद निकिता को ये दिन देखने पड़ेंगे। शहीद होने से एक हफ्ते पहले ही विभूति अपनी छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर पहुंचे थे।
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आज महिला दिवस पर निकिता जैसी महिलाएं पूरे समाज को प्रेरणा दे रही हैं।
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