ऐसी है गोल्डन बॉय मनीष नरवाल की कहानी: बनना चाहते थे फुटबॉलर, एक हादसे ने बदली जिंदगी

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो पैरालंपिक 2020 (Tokyo Paralympics 2020) में शनिवार का दिन भारत के लिए दोहरी खुशी लेकर आया। इस खेल आयोजन के 11वें दिन मनीष नरवाल (Manish Narwal) ने P4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच-1 में गोल्ड जीता। वहीं, इसी प्रतियोगिता में सिंहराज अधाना ने सिल्वर मेडल जीत लिया है। हरियाणा के फरीदाबाद जन्मे मनीष बड़े होकर फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहता था, लेकिन जन्मजात एक बीमारी ने उनका ये सपना पूरा नहीं होने दिया। लेकिन कहते है, ना जिस इंसान में कुछ कर गुजरने का इरादा हो, वो अपना मुकाम हासिल कर ही लेता हैं। फुटबॉलर तो नहीं लेकिन मनीष भारत के स्वर्णिम एथलीट जरूर बन गए है। आइए आज हम आपको बताते हैं, इस खिलाड़ी का जिंदगी के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Sep 4, 2021 8:31 AM IST

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ऐसी है गोल्डन बॉय मनीष नरवाल की कहानी: बनना चाहते थे फुटबॉलर, एक हादसे ने बदली जिंदगी

मनीष नरवाल एक भारतीय पैरा पिस्टल शूटर हैं। जिनका जन्म 17 अक्टूबर 2001 में हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ था। आज मनीष वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट रैंकिंग के अनुसार पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 में वह दुनिया में चौथे स्थान पर हैं। लेकिन इस एथलीट की जिंदगी में पैदा होते से ही कठिनाइयां शुरू हो गई थी। 

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दरअसल, दाहिने हाथ में जन्मजात बीमारी के साथ पैदा हुए मनीष को फुटबॉल खेलने का काफी शौक था। स्कूल के दिनों से ही उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। लेकिन शारीरिक कमी के चलते वह प्रोफेशनल फुटबॉलर नहीं बन पाए।

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दिव्यांगता ने उन्होंने कई चुनौतियां दी, मगर ये चुनौतियां मनीष के एथलीट बनने के इरादों को कमजोर नहीं कर पाई। फुटबॉल नहीं खेल पाने के चलते उनके परिवार के एक सदस्य ने उन्हें शूटिंग में जाने की सलाह दी। उन्होंने उनकी बात मानी और पैराशूटर बनने की ठानी।
 

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मनीष के पिता ने हमेशा अपने बेटे का साथ दिया। वह मनीष को फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में एक शूटिंग रेंज में लेकर गए। मनीष ने साल 2016 में ट्रेनिंग के लिए अपना नामांकन तो करा लिया लेकिन वह खुश नहीं थे। 

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दरअसल, मनीष हमेशा से एक आउटडोर गेम खेलना चाहते थे। उन्होंने निशानेबाजी छोड़ने का मन भी बना लिया था। हालांकि, एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बाद, उन्हें लगा कि वह इस खेल में भी अच्छा कर सकते हैं और फिर उन्होंने अपना विचार बदल लिया और ट्रेनिंग जारी रखी।

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इसके बाद उन्होंने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा और आज मनीष ने दुनिया के सबसे बड़े खेल में सबसे बड़ा पुरुस्कार जीता है। शनिवार को उन्होंने P4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच-1 के फाइनल में 218.2 स्कोर के साथ पहला स्थान हासिल किया और गोल्ड मेडल हासिल किया। 

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जब मनीष 18 साल के थे, तो उनके नाम 19 राष्ट्रीय पदक हो गए थे। टोक्यो से पहले उन्होंने पैरा-शूटिंग विश्व कप, 2021 में 10 मीटर एयर पिस्टल में विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है। मनीष नरवाल को 2020 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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