क्या है AIP तकनीक, जिससे और मजबूत हुई भारतीय सेना? अब समुद्र में दुश्मनों की खैर नहीं

Published : Mar 10, 2021, 08:59 AM IST

टेक डेस्क: भारत अपने दुश्मनों पर नजर रखने और उनके हमलों को नाकामयाब करने के लिए जल, थल और वायु से चौकस निगाहें रखता है। भारतीय जलसेना सबमरीन्स के जरिये समुद्र से दुश्मनों पर नजर रखती है। ये सबमरीन्स लंबे समय तक पानी के नीचे रहकर सारी गतिविधियों को ऑब्जर्व करते हैं। अब भारतीय सबमरीन्स के लिए DRDO नयी तकनीक लाई गई  है। इसके जरिये सबमरीन ज्यादा समय तक पानी में रह पाएंगे और इससे आने वाली आवाज भी कम हो जाएगी। इससे दुश्मनों को इनकी भनक भी नहीं लग पाएगी। 

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क्या है AIP तकनीक, जिससे और मजबूत हुई भारतीय सेना? अब समुद्र में दुश्मनों की खैर नहीं

एयर इंडिपेंडेंट प्रॉप्युलसन (Air Independent Propulsion) की वजह से  सबमरीन ज्यादा समय तक पानी के अंदर रह पाता है। साथ ही इसकी वजह से सबमरीन से आवाज बिल्कुल नहीं आती। जिसके कारण दुश्मनों को सबमरीन की आहट नहीं होगी। 

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भारत के डिफेन्स रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने मुंबई में इस तकनीक का लेटेस्ट परीक्षण किया। इसे आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम के तहत डेवलप किया गया है। 

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इस तकनीक की वजह से डीजल से चलने सबमरीन्स और घातक हो जाएगी। ये ज्यादा लंबे समय तक समुद्र के नीचे रहेंगे। 8 मार्च को इसका टेस्ट किया गया। 

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अब आपको बताते हैं इस तकनीक के फायदे। सबमरीन दो तरह के होते  हैं। इसमें एक पारम्परिक होते हैं और दूसरा परमाणु। जो पारम्परिक सबमरीन होते हैं उन्हें ईंधन जलाने के लिए ऑक्सीजन चाहिए होता है। इस कारण सबमरीन को हर दिन समुद्र की सतह पर आना पड़ता है। 

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लेकिन अब जो AIP तकनीक आई है, उससे सबमरीन को एक हफ्ते में सिर्फ एक ही बार सतह पर आने की जरुरत पड़ेगी। वहीं परमाणु  सबमरीन को AIP की जरुरत नहीं पड़ती। 

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इस तकनीक के कारण दुश्मनों की नजर पनडुब्बियों पर नहीं पड़ेगी। दरअसल, जब ऑक्सीजन के लिए सबमरीन सतह पर आती है, तब उसे दुश्मन उसे निशाना बना लेते हैं। लेकिन अब इस तकनीक के कारण दुश्मनों को पनडुब्बी की भनक नहीं लगेगी। 

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