Published : Jun 30, 2022, 11:08 AM ISTUpdated : Jun 30, 2022, 12:03 PM IST
नई दिल्ली। कहा जाता है कि जहां तकनीक भी फेल हो जाए वहां जुगाड़ काम आता है। अपने आसपास आपको ऐसे तमाम जुगाड़ तंत्र देखने को मिल जाएंगे, जो सोचने पर तो मजबूर करेंगे ही, कई बार हंसने पर भी मजबूर कर देंगे। आज हम आपको ऐसे ही कुछ जुगाड़ और फनी फोटो से रूबरू करा रहे हैं, जिसे आप जुगाड़ और कॉमेडी का नया मिक्सअप कह सकते हैं। कुछ फोटो आपको सोचने पर मजबूर करेंगे, तो कुछ हंसने पर। आइए तस्वीरों में देखते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऐसे ही कुछ दिलचस्प जुगाड़-
ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं है, तो जनरल बोगी में बैठने की जगह भी मिल जाए तो बड़ी बात है। मगर इन महाशय ने आराम से सोने का जुगाड़ भी लगा लिया है।
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काम भी करना है और बच्चे को भी देखना है। अब ऐसे में यह जुगाड़ ठीक तो हैं, मगर खतरनाक भी काम नहीं। बच्चे को गैस के पास बिठाना तो बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है।
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अब ऐसा कौन करता है भाई! बारिश में भी पौधे को पानी! ये बर्बादी आखिर क्यों। यूजर्स की इन महाशय को सलाह है कि ये पानी अगली गर्मियों के बचा कर रखें या किसी जरूरतमंद तक पहुंचा दें।
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आदमी अकेला और बच्चे दो, ऊपर से बाइक भी। बहुत नाइंसाफी है भाई। चलो जुगाड़ से सबको संभाल लेते हैं और इन महाशय ने सबको हैंडल कर लिया।
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नींद आ रही, मगर आसपास कहीं चारपाई भी तो नहीं है। चलो,आज इस भैंस पर आराम कर लेता हूं। शायद यही सोचकर यह शख्स तो लेट गया, मगर भैंस अब खुद को संभाले या इस अजीब इंसान को।
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अब ये समझ नहीं आ रहा कि आंटी जी ट्रेन को हाथ दिखाकर रूकने का इशारा क्यों कर रही है। या फिर वे हवा का रुख देख रही है। अब जो भी कारण है, वो तो इनसे ही पूछना होगा।
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चलो हम दोनों एक दूसरे को आराम देते हैं। इस सर्दी में तुम्हें भी आराम मिलेगा और मुझे भी। शायद यही सोचकर दोनों ने अपना-अपना जुगाड़ सेट कर लिया।
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अब गाड़ी से उतरने का झंझट कौन पाले। अब ये गाड़ी को चोरी होने से बचाना चाहते थे, या फिर कोई और मजबूरी थी इनकी। हां, यूजर्स ने इन्हें भारत रत्न का दावेदार जरूर बता दिया है।
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कबाड़ से जुगाड़ निकालने का ये नायाब उदाहरण है। इससे दोनों के काम बन जाएंगे। यूजर्स इस आविष्कारक का पता पूछ रहे हैं।
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मुझे तो बस ये बोर्ड लगाना है, अगर किसी ने मना किया तो बोर्ड ही नहीं लगाउंगा, फिर करते रहना सबको मना। शायद इसी अकड़ में चचाजान इस एरिया में भी स्मोक कर रहे हैं।
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अब सब्जी खरीदने तो कोई आ नहीं रहा और चलते-चलते मैं थक भी गया हूं, क्यों न थोड़ा बैठकर आराम कर लूं। इसे भी थोड़ी कंपनी मिल जाएगी।
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इस जुगाड़ की तारीफ तो हर कोई करेगा। कबाड़ का इस्तेमाल भी हाे गया और दो-दो बाइकों का पार्किंग एरिया भी बन गया।
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मोटे सेठ का बड़ा पेट। ये कई काम आ सकता है, जैसे टेबल का काम भी कर सकता है और पटरे से टेक लगाने पर गिरने से भी बचा सकता है। जैसे चाहे यूज करें।
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ये नए डिजाइन की घड़ी है। बाकी हिस्सा टूट गया तो क्या हुआ, समय ही देखना है। बस मशीन ठीक होनी चाहिए। नंबर तो कहीं भी लिखा जा सकता है।