आखिर क्या है 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध', जिसकी वजह से ईरान में लोगाें को लगातार लटकाया जा रहा फांसी पर

ट्रेंडिंग डेस्क. ईरान में 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध' का दोषी मानते हुए अब 3 और लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है, जिससे ये आंकड़ा बढ़कर 17 तक पहुंच गया है। हालांकि, लोगों का कहना है कि सरकार 100 से ज्यादा लोगों को फांसी के फंदे पर लटका चुकी है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध' क्या चीज है? आइए जानते हैं..

Piyush Singh Rajput | Published : Jan 10, 2023 5:48 AM IST / Updated: Jan 10 2023, 11:21 AM IST

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आखिर क्या है 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध', जिसकी वजह से ईरान में लोगाें को लगातार लटकाया जा रहा फांसी पर

क्या है अल्लाह के खिलाफ युद्ध?

दरअसल, ईरान में सरकार के खिलाफ जाना या सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को हिराबा (hiraba) या मोहरबेह (moharbeh) कहा जाता है। यानी सरकार के विरुद्ध जाना 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध' करने के बराबर माना जाता है। इस अजीब कानून के चलते यहां लोगों को फांसी के फंदे पर लटकाया जा रहा है, जिससे सरकार विरोधी प्रदर्शन रुक जाएं।

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आखिर क्यों हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन?

बता दें कि ईरान में हिजाब के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहा है। हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली महिलाओं की संदिग्ध मौत के बाद इस आंदोलन ने और उग्र रूप ले लिया है। जिसके बाद ईरान की इस्लामिक सरकार प्रदर्शन करने वालों को बेरहमी से मारने में भी पीछे नहीं हट रही है। पूरी दुनिया से कड़ी आलोचना झेलने के बाद भी ईरान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और एक बार फिर 3 और लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है। बता दें कि सालेह मिरहशेमी, माजिद काज़ेमी और सईद याघौबी को 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध' छेड़ने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है।

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कराटे चैंपियन को दी गई फांसी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान में फांसी की सजा सुनाने के कुछ ही घंटे बाद इसे अमल में लाया जाता है और फांसी दे दी जाती है। बताया जा रहा है कि पिछले सरकार विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने वाले कराटे चैंपियन मोहम्मद करामी को एक हत्या में दोषी बताकर फांसी पर लटका दिया गया। करामी के वकील मोहम्मद हुसैन अघासी ने ट्विटर पर लिखा कि करामी को फांसी से पहले उन्हें अपने परिवार से आखिरी बार बात तक नहीं करने दी गई।

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महसा अमिनी की मौत से शुरू हुआ बवाल

बता दें कि ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन पिछले साल से जारी है। पिछले साल सितंबर में महसा अमिनी की मौत के बाद से इस आंदोलन ने आग पकड़ी। बता दें कि महसा अमिनी को देश की मोरल पुलिस ने कथित तौर पर ईरान के सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने का दोषी पाया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और कुछ दिन बात उनकी पुलिस कस्टडी में संदिग्ध मौत हो गई थी।

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