KBC का सलाम: हादसे में खोए पैर फिर भी फतेह किया माउंट एवरेस्ट, बनी पहली दिव्यांग महिला पर्वतारोही

मुंबई. कहते हैं ना कि हौसला रखने वालों की कभी हार नहीं होती है। ऐसे में इस बात का उदाहरण देने वाली दुनिया की पहली महिला दिव्यांग पर्वतारोही डॉ. अरुणिमा सिन्हा हैं। दिव्यांग होने के बाद भी वो कभी कमजोर और लाचार नहीं रहीं। उन्होंने कुछ कर गुजरने की ठानी और आज वो पहली महिला दिव्यांग पर्वतारोही हैं। दरअसल, कौन बनेगा करोड़पति के सीजन 12 के करमवीर स्पेशल एपिसोड में अब तक एक से बढ़कर एक शख्स शामिल हुए। शो में उनका आना दर्शकों संग अपनी जिंदगी के पहलुओं को शेयर करना कई लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा है। ऐसे में इस शुक्रवार प्रसारित होने वाले स्पेशल एपिसोड में डॉ. अरुणिमा सिन्हा शिरकत करने वाली हैं। सोनी के इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया है प्रोमो वीडियो...

Asianet News Hindi | Published : Dec 9, 2020 3:36 AM IST

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KBC का सलाम: हादसे में खोए पैर फिर भी फतेह किया माउंट एवरेस्ट, बनी पहली दिव्यांग महिला पर्वतारोही

सबसे पहले बता दें कि डॉ. अरुण‍िमा सिन्हा विश्व की पहली दिव्यांग महिला हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर फतेह हास‍िल की। सोनी चैनल ने इस अपकमिंग एप‍िसोड का प्रोमो शेयर किया है। प्रोमो में डॉ. अरुण‍िमा ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्ध‍ि और सबसे कठ‍िन कार्य के बारे में बताया है।

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वीडियो में वो कहती दिख रही हैं कि 'क्या आप सोच सकते हैं कि एक ऐसी दिव्यांग लड़की जो बिस्तर से उठ भी नहीं सकती थी, जब वो कुछ निश्चय कर ले कि हां कुछ अलग करना है, तब लोगों ने पागल कहना शुरू कर दिया था। जब ये दुनिया आपको पागल बोलना शुरू कर दे तब आप समझ लें कि आपका गोल आपके बहुत नजदीक है। तब उन्होंने तय किया कि वो वो करेंगी जो शायद अभी तक किसी ने नहीं किया।' 

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अमिताभ बच्चन आगे डॉ. अरुण‍िमा की इस उपलब्धि का जिक्र करते हैं, 'माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा श‍िखर, पर्वातरोहियों के लिए एक कठ‍िन चुनौती है। यहां चढ़ाई इतनी दुर्गम है कि हर पर्वतारोही को सफलता मिले ये जरूरी नहीं लेकिन इसी दुर्गम श‍िखर पर अरुण‍िमा जी ने अपने पैर खोने के बावजूद भारत का ध्वज फहराया। माउंट एवरेस्ट पर फतेह हास‍िल करने वाली विश्व की पहली महिला दिव्यांग पर्वतारोही, तेंजिंग नोर्गे अवॉर्ड से सम्मान‍ित, पद्मश्री डॉ. अरुण‍िमा सिन्हा का अभ‍िनंदन।'

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शो में अरुणिमा ने अपने साथ हुए ट्रेन हादसे के बारे में भी बताया और उन्होंने कहा कि 'बरेली के पास चनेटी नाम एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। चार-पांच लोग कहीं से ट्रेन में चढ़े। अचानक उनके गले पर उनका हाथ उन्हें महसूस हुआ तो उन्होंने हाथ पकड़ा और उसका विरोध किया।'

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अरुणिमा कहती हैं कि 'उनके पास चाकू और बंदूक जैसी चीजें थीं और उन्होंने उन्हें उठाया और चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ट्रेन का हैंडल पकड़ने की कोशिश की पर वो उसे पकड़ नहीं पाईं और उसके विपरीत दिशा से दूसरी ट्रेन की सिर्फ लाइट दिखाई दी और फिर अचानक वो बाहर थीं और टकराकर नीचे गिर गईं। उन्होंने खुद को हाथ रखकर उठाने की कोशिश की मगर वो उठ नहीं पा रही थीं। उनके दाएं पैर की हड्डियां टूट-टूटकर जींस के बार आ गई थी। जब अरुणिमा ने जाघों को उठाकर देखा तो उनका पैर जींस से लटक रहा था।'

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अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट पर अपनी चढ़ाई के फैसले और उसके लिए कहां से उन्हें प्रेरणा मिली। इसके बारे में भी खुलकर बताया। उन्होंने कहा कि 'हॉस्पिटल के बेट पर फ्रंट पेज पर देखा कि अरुणिमा के पास टिकट नहीं थी और टीटी के आने पर वो ट्रेने से कूद गईं। अगले दिन अखबार में देखा कि अरुणिमा सुसाइड के लिए गई थीं।'

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अरुणिमा कहती हैं कि 'जब उन्होंने अखबार का पेज पलटा तो स्पोर्ट्स पन्ने पर माउंटेनियरिंग का एक आर्टिकल था। उन्होंने उसमें माउंटनियरिंग के रूट्स को पढ़े और फिर मन में ठान लिया कि जिस कटे हुए पैर को लोग अरुणिमा की कमजोरी कहते हैं, उसी को वो अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा हथियार बनाएंगी और वहीं से उन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे कठिन गेम माउंटेनियरिंग चुना।'

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ये तो तय है  कि शो में अरुणिमा के आने से कई लोगों को उनकी जिंदगी से प्रेरण और सीख दोनों मिलेगी। केबीसी का ये स्पेशल एपिसोड इस शुक्रवार रात 9 बजे ऑन एयर होगा।

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