इसके आगे सुनील कहते हैं कि स्पेशल स्फेक्ट्स ना होने के बावजूद रामानंद सागर जैसे-जैसे बताते गए वो सभी वैसे-वैसे करते गए। वे जब राम की तरफ देख कर मुस्कराने को कहते थे तब वो मुस्कुराते थे, जब वो नीचे देख कर घबराने के लिए कहते थे तब राम-लक्ष्मण नीचे देख कर घबराते थे।