रतन के मुताबिक, "पिता की नौकरी की वजह से मुझे अलग-अलग शहरों में रहने का मौका मिला। लेकिन पुरानी जगह पर हमेशा दोस्त छूट जाते थे। हर नई जगह पर दोस्त बनाना मुश्किल होता था। आज भी मुझे दोस्त बनाने में वक्त लगता है। लेकिन हां, हर शहर से जुड़ी बातें मैं आज भी मजे से याद करती हूं।"