उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में छठा भाव बीमारी और अष्टम भाव मृत्यु और उसके कारणों पर प्रकाश डालता है। बीमारी पर विचार जन्म कुंडली के 12वें भाव से किया जाता है। इन भावों पर दृष्टि डालने वाले अनिष्ट ग्रहों के निवारण के लिए पूजा-पाठ, जाप, यंत्र धारण, दान एवं रत्न धारण आदि उपाय ज्योतिष में बताए गए हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कुंडली में कौन-सा ग्रह किस बीमारी का कारक होता है और उसके निवारण के लिए कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए…