शारदीय नवरात्रि में रोज करें ये 3 प्राणायाम, इससे मन एकाग्र होगा और चेहरे का तेज बढ़ेगा

Published : Oct 07, 2021, 06:45 AM IST

उज्जैन. शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) का पर्व वर्षा और शीत ऋतु के संधिकाल में मनाया जाता है। ऋतुओं का संधिकाल होने के कारण इस समय बीमार होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। आयुर्वेद के अनुसार शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) न सिर्फ माता की आराधना का पर्व है बल्कि इस समय हम योग व ध्यान के माध्यम से हमारे अंदर की ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं, जिससे हमे हर तरह की बीमारी से लड़ सकते हैं। इसके अलावा और भी कई तरह के फायदे नवरात्रि के दौरान ध्याव व योग करने से हमें हो सकते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 7 से 14 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान आप कौन-सी योग क्रिया कर सकते हैं, इसकी जानकारी इस प्रकार है…

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शारदीय नवरात्रि में रोज करें ये 3 प्राणायाम, इससे मन एकाग्र होगा और चेहरे का तेज बढ़ेगा

यह प्राणायाम रात को करना चाहिए। आधी रात को आसन पर बैठकर दोनों हाथों की उंगलियों को दोनों कानों में लगाकर सांस अंदर खींचे और कुंभक (एक प्रकार का आसन) द्वारा सांस को रोकें। इसमें कान बंद होने पर भौरों के समान शब्द सुनाई देने लगता है। यह शब्द दाएं कान में अनुभव होता है।

लाभ
इस आसन से मन एकाग्र होता है व चेहरे का तेज बढ़ता है।

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सांस लेने की गति में बदलाव करना भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है। इस प्राणायाम को करने के लिए पहले पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। कमर, गर्दन, पीठ एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर को बिल्कुल स्थिर रखें। इसके बाद बिना शरीर को हिलाए नाक के दोनों छिद्रों से आवाज करते हुए सांस लें। फिर आवाज करते हुए ही सांस बाहर छोड़ें। अब तेज गति से आवाज करते हुए सांस लें और बाहर निकालें। यही क्रिया भस्त्रिका प्राणायाम कहलाती है। हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रहेंगी। ध्यान रहे, सांस लेते और छोड़ते वक्त हमारी लय ना टूटे।

लाभ
इस प्राणायाम के अभ्यास से मोटापा दूर होता है, जिससे शरीर आकर्षक बनता है।

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इस प्राणायाम को करने के लिए आप सिद्धासन में बैठकर (दोनों पैरों की एड़ी को एक के ऊपर एक रखें तथा हाथों को घुटनों पर रखें और हाथों के अंगूठे तथा अंगूठे के पास वाली उंगली को मिलाकर अपने मेरुदण्ड को सीधा करके बैठ जाये)। अब सांस को गहराई तक अन्दर लें। इसके बाद सांस को पूरी तरह से बाहर निकाल दें और पेट कि नाभि को मेरुदंड से मिलाने का प्रयत्न करें। क्षमता अनुसार इस स्थिति में रुकें तथा फिर अपनी पूर्व स्थिति में आ जावे।

लाभ
इस प्राणायाम से पेट के रोगों में आराम मिलता है, जिससे चेहरे पर पिंपल नहीं होते।

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