पंचर बनाने वाले के बेटे ने जुगाड़ से बना दी बैट्री से चलने वाली बाइक

मिर्जापुर, यूपी. अगर दिमाग की बत्ती जल जाए, तो जुगाड़ से भी कमाल की चीजें बनाई जा सकती हैं। अब इस युवक को ही देखिए! इसके पिता पंचर बनाने की दुकान चलाते हैं। यह पिता के काम में हाथ बंटाता है और कॉलेज में पढ़ता भी है। एक दिन इसके दिमाग में आइडिया आया। इसने दुकान में पड़े कबाड़ उठाए और महीनेभर की मेहनत के बाद यह जुगाड़ की बाइक तैयार कर दी। एक बार बैट्री चार्ज करने पर यह 50 किमी चलती है। सबसे बड़ी बात यह परिवार इतना गरीब है कि युवक के पास बैट्री खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। लिहाजा इसने नवरात्रि में देवी मां की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाईं और बेचीं। इसके बाद बाइक बनाने का प्लान किया। पिछले दिनों इसने बाइक बनाकर तैयार कर दी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 19, 2020 4:22 AM IST
116
पंचर बनाने वाले के बेटे ने जुगाड़ से बना दी बैट्री से चलने वाली बाइक

यह हैं मिर्जापुर के रहने वाले नीरज मौर्य। इनके पिता छोटे से किसान भी हैं। दिन में ये पंचर की दुकान चलाते हैं। नीरज पंचशील डिग्री कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी जुगाड़ वाली बाइक में रिवर्स गीयर भी लगता है। इस बाइक को बनाने में करीब 30 हजार रुपए का खर्च आया। इसकी स्पीड सामान्य बाइक जैसी ही है। इनकी बाइक देखने स्थानीय एमएलए राहुल प्रकाश खुद नीरज के घर पहुंचे। आगे पढ़ें-पहाड़ी इलाकों में खेत पर बैल और ट्रैक्टर नहीं पहुंच सकते थे, तो सामने आई यह गजब मशीनरी

216

हल्द्वानी, उत्तराखंड.  इसे पावर वीडर कहते हैं। यह किसानों के लिए मददगार साबित हुई है। करीब साढ़े पांच हॉर्स पॉवर की इस मशीन का वजन 70-80 किलो होता है। इस पावर वीडर ने पर्वतीय क्षेत्रों में क्रांति ला दी है। पावर वीडर खरीदने के लिए अलग-अलग राज्यों में सरकारें सब्सिडी देती हैं। इसके लिए लगभग 80 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल जाती है। इसके लिए कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। आगे पढ़ें-जुगाड़ से बनीं गजब मशीनें...

316

बालोद, छत्तीसगढ़.  मूंगफली को फसल से अलग करना पेंचीदा काम होता है। इसके लिए महंगी-महंगी मशीनें बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन गरीब किसान हाथों की मेहनत यह काम करते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की बालोद स्थित बटालियन के जवानों ने एक ऐसा प्रयोग किया, जिनसे यह काम आसान कर दिया। यह मामला पिछले दिनों मीडिया की सुर्खियों में आया था। इसमें साइकिल को उल्टा करके जब पिछले पहिये में मूंगफली की फसल फसाई गई, तो वो अलग-अलग हो गई। इससे समय की बचत हुई और महंगी मशीन खरीदने का खर्चा भी बचा। साइकिलिंग के जरिये इन जवानों ने 20-30 किलो मूंगफली साफ करके दिखाया था। 

416

मंडला, मध्य प्रदेश. नीचे की तस्वीर मध्य प्रदेश के मंडला जिले के किसानों के आविष्कार को दिखाती है। इन्होंने 50-60 हजार रुपए खर्च करके कबाड़ की जुगाड़ से यह मशीन बनाई। इसे नहर के बीच में रखा, तो यह पानी के प्रेशर से चल पड़ी। यह करीब 30 हॉर्स पॉवर तक ऊर्जा पैदा करती है। इससे खेतों तक पानी पहुंच जाता है। यह इतनी हल्की है कि उठाकर कहीं भी ले जा सकते हैं। इस मशीन को देखने कलेक्टर हार्षिका सिंह भी पहुंचे। मशीन में एक व्हील(रहट) है, जिसे गीयर से जोड़ा गया है। आगे पढ़ें-जब 12वीं पास किसान ने बनाया मंगल टरबाइन...

516

बिजली पैदा करने वाला देसी टरबाइन पांच साल पहले यूपी के ललितपुर में सामने आया था। यहां के एक गांव में रहने वाले 12वीं पास किसान मंगल सिंह एक दिन सिंचाई कर रहे थे कि उनकी 15 हॉर्स पॉवर की मोटर खराब हो गई। नई मोटर के लिए उन्होंने लोन लेने बैंकों के चक्कर काटे, लेकिन नाकाम रहे। तब उन्होंने एक टरबाइन बना दिया। इसे नाम दिया मंगल। आगे पढ़ें इसी टरबाइन के बारे में...

616

मंगल टरबाइन एक रहट और गीयर बॉक्स से तैयार किया गया। यह पानी के फोर्स से घूमती है। इस मशीन से बिजली पैदा हो गई। इसका उपयोग आटा चक्की, गन्ना पिराई, कुट्टी मशीन में भी किया जा सकता है। आगे पढे़ं-जब बिजली और डीजल ने रुलाया, तो किसान ने एक आइडिया निकाला और चल पड़ा इंजन, पैसा भी बचा

716

वाले किसानों की कहानी। यहां के गांवों में बिजली की बड़ी दिक्कत थी। इसलिए किसान डीजल के इंजन पर निर्भर थे। लेकिन डीजल इतना महंगा पड़ता था कि उन्हें टेंशन होने लगती थी। बस फिर क्या था...कुछ किसानों ने दिमाग लगाया और रसोई गैस से इंजन चलाने का तरीका खोज निकाला। किसानों ने बताया कि डीजल से एक घंटे इंजन चलाने पर 150 रुपए से ज्यादा का खर्चा आता था। लेकिन गैस सिलेंडर से चलाने पर एक चौथाई खर्चा। आगे पढ़ें-बिजली ने रुलाया, तब जल उठी दिमाग की बत्ती, देखिए बाइक से कैसे किए गजब के जुगाड़

816

बाड़मेर/छतरपुर। कोल्हू में बैल की जगह 'जुती' बाइक की पहली तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर की है। जबकि दूसरी तस्वीर कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सामने आई थी। पहले जानते हैं बाड़मेर की खबर। आमतौर पर फसल जैसे तिली, सरसों आदि से तेल निकालने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होता है।लेकिन यहां एक युवक ने बाइक को कोल्हू का बैल बना दिया। उदाराम घाणी(कोल्हू) में बैल जोतने के बजाय बाइक के जरिए तिली का तेल निकाल रहे हैं। उदाराम कोल्हू का काम करते हैं। वे भीलवाड़ा में रहते हैं। लेकिन इस समय कोल्हू के काम से बाड़मेर में हैं। भीलवाड़ा से बाड़मेर तक बैल लाने में दिक्कत थी। इसलिए जिस बाइक से वे बाड़मेर आए, उसी को कोल्हू में लगा दिया। आगे पढ़िए इसी खबर के बारे में...

916

उदाराम बताते हैं कि कोल्हू में बैल जोतने पर उसके लिए चारा-पानी आदि का इंतजाम करना पड़ता है। यह महंगा पड़ता था। बाइक से यह काम सस्ता पड़ रहा है। उनके कोल्हू की चर्चा आसपास के कई गांवों तक फैल गई। इससे लोग तेल निकलवाने के बहाने इस कोल्हू को देखने आ रहे हैं। उदाराम ने बाइक की स्पीड कार्बोरेट के जरिये फिक्स कर दी है। इससे बाइक पर बैठकर गीयर बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। आगे पढ़ें-बिजली कटौती ने जला दी दिमाग की बत्ती, देसी जुगाड़ से बाइक के जरिये निकाल लिया ट्यूबवेल से पानी

1016

भोपाल, मध्य प्रदेश.  यह आविष्कार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बड़ामलहरा में हुआ था। यहां एक कम पढ़े-लिखे शख्स ने जब देखा कि बिजली कटौती के चलते ट्यूबवेल बंद होने से लोग पानी को परेशान हैं, तो उसने दिमाग दौड़ाया। बस फिर क्या था, उसने अपनी बाइक के पिछले पहिये में थ्रेसर की बेल्ट को यूं बांधा कि उसके घूमने से ट्यूबवेल में लगा डीजल पंप चल पड़ा और पानी निकलने लगा। बाली मोहम्मद की यह बाइक मीडिया की सुर्खियों में आई थी। आगे पढ़ें इसी आविष्कार के बारे में..
 

1116

बाली ने बाइक के इंजन के बगल में लगे मैग्नेट बॉक्स को खोलकर उसके अंदर दो बोल्ट कस दिए। इसमें थ्रेसर की बेल्टों को काटकर यूं फंसाया कि पहिया घूमने पर बेल्ट भी घूमे। दूसरे सिरे पर उसने बेल्ट को डीजल पंप की पुल्ली(रॉड) से कस दिया। आगे पढ़ें इसी आविष्कार के बारे में...

1216

अब बाली ने जैसे ही बाइक स्टार्ट की..बेल्ट घूमने से डीजल पंप का चक्का भी तेजी से घूमा। इस तरह पानी ऊपर आने लगा। इस पर खर्चा भी आया सिर्फ 30 रुपए में एक घंटे पानी खींचना। यानी यह डीजल से सस्ता पड़ा। आगे पढ़ें-बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर दौड़ते देखकर लोगों को लगा भूत होगा, लेकिन यह था जुगाड़ का कमाल

1316

जयपुर, राजस्थान. राजस्थान के बारां जिले के बमोरी कलां गांव के रहने वाले 20 वर्षीय योगेश नागर ने रिमोर्ट से ट्रैक्टर चलाकर सबको चकित कर दिया था। यह मामला कुछ समय पहले मीडिया की सुर्खियों में आया था। योगेश किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता बीमार रहते थे। लिहाजा योगेश को बीएससी की पढ़ाई पूरी करके अपने गांव लौट आना पड़ा। यहां उन्होंने पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया। इसी बीच खाली बैठे उन्हें आइडिया आया और ऐसा रिमोट बना दिया, जो ट्रैक्टर को चलाता है।  आगे पढ़ें-साइकिल की जुगाड़ से निकाला किसान ने कई समस्याओं का 'हल'..जानेंगे नहीं इसकी खासियत

1416

धनबाद, झारखंड. जुगाड़ से बनी यह साइकिल धनबाद के झरिया उपर डुंगरी गांव से चर्चा का विषय बनी थी। इसे तैयार किया था मैट्रिक पास किसान पन्नालाल महतो ने। इसमें दो हॉर्स पॉवर के मोटरपंप को लगाया गया है। यानी साइकिल से खेत जोइए और ट्यूबवेल या कुएं से पानी निकालकर सिंचाई भी कीजिए। पन्नालाल ने इस साइकिल का निर्माण महज 10000 रुपए में किया था। इसमें साइकिल के पिछले पहिये को हटाकर उसमें तीन फाड़(खेत जोतने लोहे का फर्सा) लगाया गया है। इस जुगाड़ की साइकिल के चलाने के लिए केरोसिन की जरूरत होती है। अगर केरोसिन खत्म हो जाए, तो साइकिल को धक्का देकर भी खेत जोता जा सकता है। साइकिल का पिछला पार्ट हटाकर उसमें मोटर फिट कर दी गई है। आगे पढ़ें-ऐसी जुगाड़ गाड़ी कभी देखी है, बच्चा है...लेकिन कर लेती है कम खर्च में बड़े ट्रैक्टरों के काम

1516

पश्चिम सिंहभूम, झारखंड. कबाड़ की जुगाड़ से हाथ के सहारे चलने वाले इस मिनी ट्रैक्टर का निर्माण करने वाले देव मंजन बैठा के खेत पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर पोटका में हैं। देव मंजन ने इस मिन ट्रैक्टर का निर्माण पुरानी मोटरसाइकिल, पानी के पंप और स्कूटर के पार्ट्स को जोड़कर किया है। वे पिछले 9 सालों से इस मिनी ट्रैक्टर के जरिये खेती-किसानी कर रहे हैं। देव 10वीं पास हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से वे आगे नहीं पढ़ पाए, तो खेती-किसानी करने लगे। इस मिनी ट्रैक्टर के निर्माण पर मुश्किल से 5000 रुपये खर्च हुए हैं। इससे लागत सीधे 5 गुना कम यानी 70-80 रुपए पर आ गई। आगे पढ़ें-बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली...

1616

रांची, झारखंड. इसे कहते हैं  दिमाग की बत्ती जल जाना!  ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं।  केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था। 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos