कैंसर ने छीन लिए पैर तो भी नहीं हारा युवक, बिस्तर पर पड़ने की जगह खुद कमाकर चला रहा घर
हटके डेस्क: कुछ लोग ऐसी मिट्टी के बने होते हैं कि लाख मुसीबत आए, हार नहीं मानते हैं। ऐसे लोग अपने आत्मविश्वास और किसी भी परिस्थिति में संघर्ष करने की ताकत के बदौलत सफलता हासिल करते हैं और कभी किसी पर बोझ नहीं बनते। कुछ ऐसी ही कहानी है मलेशिया के 19 साल के नवजवान अब्दुल आफ्जा अजीज अब्दुल वहाब की। इस लड़के को सितंबर, 2017 में बोन कैंसर हो गया था। कैंसर के इलाज के दौरान उसका एक पैर काटना पड़ा। उसकी कहानी वायरल हो गई थी। उसे कुछ डोनेशन भी मिले। लेकिन उसकी कैंसर की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हुई। अब दोबारा वह कैंसर की समस्या से जूझ रहा है। इसका इलाज करवाने में भी काफी खर्चा होता है। अब्दुल वहाब नाम का यह शख्स लोगों से चंदा नहीं लेना चाहता। उसने कैंसर से पीड़ित होने और एक पैर नहीं होने के बावजूद मेवों का व्यापार शुरू कर दिया। इसके लिए उसने फेसबुक का सहारा लिया। जानते हैं उसकी कहानी।
Asianet News Hindi | Published : Feb 26, 2020 12:02 PM IST / Updated: Feb 27 2020, 12:18 PM IST
पहले अब्दुल वहाब ने बहुत कम पूंजी RM 400 (करीब 7000 रुपए) से मेवों का कारोबार शुरू किया। पहले वह तीन तरह के ही मेवे बेचता था, लेकिन जैसे-जैसे उसके मेवे के खरीददार बढ़ते गए, उसने कई तरह के मेवे बेचने शुरू कर दिए।
उन मेवों की कीमत RM 7 (करीब 118 रुपए) से लेकर RM 70 (करीब 1200 रुपए) तक वजन के अनुसार होती है।
अब्दुल वहाब का कहना है कि उसका कॉलरबोन बढ़ रहा है और उसे हर महीने रेडियोथेरेपी करानी होगी। इसलिए उसने फेसबुक के जरिए मेवे बेचने की शुरुआत की।
उसने बताया कि वह सबसे परिवार का सबसे बड़ा लड़का है और मां के साथ फैमिली में कुल 5 लोग हैं।
अब्दुल बहाव की मां भी मेवे बेचने में उसकी मदद करती हैं। इसकी बिक्री से फैमिली को काफी सपोर्ट मिल रहा है। अब्दुल बहाव का कहना है कि वह बीमारी को कोई बाधा नहीं बनने देना चाहता है। उसने कहा कि मैं लगातार दूसरों से मदद नहीं ले सकता।
अब्दुल बहाव की इच्छा है कि वो लोगों की मदद करें। लेकिन इसी दौरान उसकी बीमारी दोबारा से उभर गई। अब्दुल बहाव का कहना है कि उसे खुदा पर भरोसा है और वह उसकी मुश्किलों को आसान करेगा।
अब्दुल बहाव का कहना है कि जब तक उसमें ताकत है, वह अपनी बीमारी से लड़ता रहेगा। उसने यह भी कहा कि उसे मां का सपोर्ट हासिल है और दूसरे लोग भी उसकी मदद करने को तैयार रहते हैं, लेकिन वह मदद पर आधारित नहीं होना चाहता।
उसने मेवों का व्यवसाय शुरू किया, जिसमें उसे सफलता मिल रही है। अब्दुल बहाव का कहना है कि दूसरे लोगों की मदद मिलने के साथ ही 'थर्ड फोर्स' नाम का एक एनजीओ भी उसकी मेडिकल जांच और इलाज में मदद करता है। यह एनजीओ उसके परिवार का भी ध्यान रखता है।