पैसों के लालच में इस देश आती हैं लड़कियां, फिर सामना करना पड़ता है शारीरिक शोषण और घरेलू हिंसा का

लेबनान में काफी संख्या में अफ्रीका और साउथ एशिया के देशों से लड़कियां और महिलाएं घरेलू काम करने के लिए आती हैं। इन महिलाओं को यहां बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। अक्सर इनका शारीरिक शोषण होता है और ये प्रेग्नेंट हो जाती हैं। इसके बाद इनकी मुश्किलें बढ़ती हैं। कई महिलाएं लिव-इन मेड के रूप में काम करती हैं। इसकी वजह है कि उन्हें यहां पैसा अच्छा-खासा मिल जाता था। लेकिन अब पैसे भी नहीं मिलते और दूसरे देशों से आने वाली महिलाएं एक ऐसे जाल में फंस जाती हैं, जिससे निकल पाना उनके लिए मुश्किल होता है। मानवाधिकार संगठन उनके हक के लिए आवाज उठाते रहते हैं, लेकिन इसका कोई खास असर हो पाता। गरीबी की शिकार महिलाएं दूर देश से अपना घर-बार छोड़ कर यहां आती हैं। लेबनान के एक मानवाधिकार संगठन का कहना है कि ऐसी हजारों घरेलू काम करने वाली विदेशी महिलाएं यहां हैं, जिनका कोई रिकॉर्ड या डॉक्युमेंट नहीं है। इन संगठनों का कहना है कि लेबनान में इन महिलाओं की हालत बंधुआ मजदूरों जैसी है। उन्हें बंधक बना कर रखा जाता है और उनका यौन शोषण होता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि लेबनान में लाखों की संख्या में विदेशी डोमेस्टिक वर्कर्स हैं, जिनमें ज्यादातर की हालत अच्छी नहीं है। शारीरिक शोषण का शिकार तो वे होती ही हैं, जब से लेबनान की आर्थिक हालत चरमरा गई है, इन्हें समय पर पैसे भी नहीं मिल पाते। इनके देशों के दूतावास भी वापस लौट पाने में इनकी मदद नहीं कर पाते। तस्वीरों में देखें इन महिला डोमेस्टिक वर्कर्स की दशा। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 29, 2020 6:10 AM IST / Updated: Feb 29 2020, 01:03 PM IST
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पैसों के लालच में इस देश आती हैं लड़कियां, फिर सामना करना पड़ता है शारीरिक शोषण और घरेलू हिंसा का
बेरूत के बाजार में एक शॉप विंडो में डोमेस्टिक वर्कर्स के पहनने के कपड़े शोकेस किए गए हैं। घरों में काम करने वाली विदेशी महिलाओं को इसी तरह का यूनिफॉर्म पहनना पड़ता है।
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केन्या की एक डोमेस्टिक वर्कर अपने बच्चे को गोद में लिए हुए। पैसे और डॉक्युमेंट्स नहीं होने के कारण ऐसी महिलाओं के लिए बेरूत छोड़ कर अपने देश वापस लौट पाना मुश्किल होता है।
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रविवार को बेरूत में इथोपियन एवेंजिकल चर्च सर्विस के दौरान एक साथ जुटीं इथोपियाई डोमेस्टिक वर्कर्स।
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इथोपियाई डोमेस्टिक वर्कर्स का एक प्रोस्टेट बैनर। समय-समय पर ये महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर शोषण के खिलाफ आवाज उठाती हैं, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।
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बेरूत की एक गली में एक डोमेस्टिक वर्कर अपने मालिक के कुत्ते को टहलाती हुई। इन महिलाओं को हर तरह के काम करने पड़ते हैं।
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इथोपिया की यह महिला लेबनान में पिछले 5 सालों से डोमेस्टिक वर्कर के रूप में काम कर रही है। इसके बच्चे इथोपिया में ही हैं। सही पेपर्स और पैसे के अभाव में इसके लिए वापस लौट पाना आसान नहीं है।
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इथोपिया की एक डोमेस्टिक वर्कर ने अपने बच्चों के लिए गिफ्ट खरीद कर पैक कर लिया है। लेकिन वह कब अपने देश में जा पाती है, यह कह पाना मुश्किल है।
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फिलीपीन्स की इस डोमेस्टिक वर्कर को पिछले एक साल से सैलरी नहीं मिली है। लेकिन अब फिलीपीन्स की एम्बेसी ने इसके वापस लौटने का इंतजाम किया है।
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फिलीपीन्स की यह डोमेस्टिक वर्कर अपने देश के दूतावास में वापस लौटने के लिए सामान पैक करते हुए। हजारों की संख्या में फिलीपीन्स की महिलाएं लेबनान छोड़ रही हैं। फिलीपीन्स एम्बेसी वापस अपने देश लौटने में इन महिलाओं की मदद कर रही है।
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एक इथोपियाई डोमेस्टिक वर्कर पिछले साल अपने रिक्रूटमेंट एजेंट के घर पर मृत पाई गई थी। उसे श्रद्धांजलि देने के लिए काफी महिलाएं आईं। उन्होंने उस महिला की याद में मोमबत्ती जला कर प्रार्थना की।
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