Published : Mar 17, 2020, 11:35 AM ISTUpdated : Mar 17, 2020, 06:23 PM IST
हटके डेस्क: चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। इस वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा एक लाख 70 हजार को पार कर गया है। दुनिया के कई देश इसकी चपेट में है। वायरस के कारण कई देश लॉक डाउन है। लोगों को वायरस के फैलने के कारणों के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही इससे बचाव का तरीका भी समझाया जा रहा है। वैसे तो अभी तक ये साफ़ नहीं हुआ है कि ये वायरस कैसे फैला, लेकिन इस बात का काफी ज्यादा अंदेशा है कि वायरस चमगादड़ खाने से इंसानों में पहुंचा। यानी कोरोना वायरस चमगादड़ों में पाया जाता है। लेकिन थाईलैंड के एक गांव में रहने वाले लोग शायद इस बात को नहीं जानते। तभी तो कोरोना के खौफ के बीच भी यहां रहने वाले लोग गांव में मौजूद उस गुफा में जा रहे हैं, जहां कई हजार चमगादड़ रहते हैं। ऐसे में गांव में कोरोना वायरस का प्रकोप और प्रचंड होने की संभावना है।
थाईलैंड में अभी तक कोरोना वायरस के संदिग्धों की संख्या 200 पार कर गई है। वायरस के कारण देश में पर्यटन क्षेत्र पर काफी असर पड़ा है।
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कोरोना वायरस के बारे में कहा जा रहा है कि ये वायरस चमगादड़ों से इंसानों में फैला। लेकिन शायद ये बात थाईलैंड के पश्चिम प्रांत के रत्चबुरी में रहने वाले लोग नहीं जानते।
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यहां रहने वाले लोग इस महामारी के बीच भी गांव में मौजूद गुफा में जाकर बैट गुआनों निकाल कर ला रहे हैं। थाईलैंड के कई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इन चमगादड़ों से ही कोरोना वायरस फैला है। फिर भी लोग इस गुफा में जा रहे हैं।
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आपको बता दें कि बैट गुआनों चमगादड़ की बीट होती है। इसका इस्तेमाल फसल उर्वरक के रूप में किया जाता है।
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गांव वाले गुफा में जाकर बोरे में भरकर चमगादड़ की बीट ला रहे हैं। उन्हें इस बात की भनक भी नहीं है कि ये कितना खतरनाक है।
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गांव वाले जानते भी नहीं है कि जिस चमगादड़ की गुफा में वो जा रहे हैं, उसी के कारण आज पूरी दुनिया में एक लाख 70 हजार से ज्यादा लोग कोरोना के शिकार हो चुके हैं।
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गांव वाले रात के अंधेरे में गुफा के अंदर जाते हैं। उस समय गुफा में रहने वाले लाखों चमगादड़ भोजन की तलाश में बाहर जाते हैं।
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गुफा में जाकर गांव वाले उर्वरक को बोरे में भरकर बाहर ले आते हैं।
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उर्वरक से भरे इन बोरों को प्रति डॉलर बेचा जाता है। जब गांव वालों को चमगादड़ों से फैले इस जानलेवा वायरस के बारे में बताया गया तो पता चला कि उन्हें इसके बारे में कुछ भी नहीं पता।
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गांव वालों ने कहा कि कई सालों से वो ये काम कर रहे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें कोई भी समस्या नहीं हुई है।