एक फोन कॉल ने मरवा दिए थे लाखों लोग, फिर भी 2 करोड़ रुपए में बिका हिटलर का यह हत्यारा टेलिफोन

जर्मन के तानाशाह हिटलर के क्रूरता के किस्से दुनियाभर में जाहिर हैं। हिटलर 1993 से 1945 तक जर्मन का शासक रहा। वो राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी(NSDAP) का लीडर था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने दुश्मन देशों के बंधकों को जितनी बेरहमी से मरवाया था, वो इतिहास में काले पन्नों में दर्ज है। दूसरे विश्व युद्ध के लिए हिटलर को ही जिम्मेदार माना जाता है। यह टेलिफोन 1945 में बना माना जाता है। 2017 में इसकी नीलामी हुई थी। इसे किसी अमेरिकी ने करीब 2 करोड़ रुपए में खरीदा था। कहते हैं कि पहले यह टेलिफोन काले रंग का था, जिसे बाद में लाल रंग से पुतवाया गया। यह टेलिफोन बर्लिन में हिटलर के बंकर से मिला था। इसी फोन के जरिये हिटलर ने अपनी सेना को आदेश दिया था कि गैस चेंबर में बंद कैदियों को मार दिया जाए। मरने वाले 10 लाख लोगों में ज्यादातर यहूदी थे। नाजियों का यह यातना शिविर पोलैंड में था।

Asianet News Hindi | Published : Dec 17, 2020 6:18 AM IST

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एक फोन कॉल ने मरवा दिए थे लाखों लोग, फिर भी 2 करोड़ रुपए में बिका हिटलर का यह हत्यारा टेलिफोन

बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर ने लाखों लोगों को नजरबंद करके रखा था। बाद में इसी फोन के जरिये उन्हें गैस चेंबर में डालकर मार डालने का आदेश सुनाया था।

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हिटलर ने दूसरा विश्व युद्ध भड़काने के बाद कुछ खास कैम्प बनाए थे, जहां कैदियों को यातनाएं दी जाती थीं। इनमें से एक कैम्प पोलैंड में ऑश्वित्ज नाम का कैम्प था।

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नाजी खुफिया एजेंसी यूरोप के सभी देशों से यहूदियों को पकड़कर ले जाती और कैम्प में उन्हें यातनाएं दी जातीं।

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 पोलैंड का ऑश्वित्ज सेंटर सबसे कुख्यात यातना शिविर था।

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इस शिविर में कैदियों के बाल उतार दिए जाते थे। उन्हें बिना कपड़ों के छोड़ दिया जाता था।

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बता दें कि 6 साल के युद्ध के दौरान नाजियों ने करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी थी। इनमें 15 लाख बच्चे थे।

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