चंद दिनों में बर्बाद हो गए हंसते-खेलते देश, अब सड़कों पर चीखती है मनहूसियत, कोरोना ने कर दिया बर्बाद

कोरोना का कहर पूरी दुनिया में फैल गया है। चीन के बाद यूरोप के देश ही इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। कोरोना से सबसे ज्यादा लोगों की मौत इटली में हुई है। स्पेन, फ्रांस, इंग्लैंड और कई देशों में कोरोना से जनजीवन ठहर गया है। 200 देशों में कोरोना वायरस फैल चुका है और लाखों की संख्या में लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। इससे पूरी दुनिया में अब तक 30 हजार मौतें हो चुकी हैं। इटली में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो चुका है। वहां 51 डॉक्टरों की भी मौत कोरोना के मरीजों का इलाज करने के दौरान हो गई है। स्पेन में करीब 5812 लोगों की कोरोना से जान जा चुकी है। यूरोप के दूसरे देशों का हाल भी अच्छा नहीं है। ज्यादातर देशों में कोरोना के खतरे से बचाव के लिए लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है। तस्वीरों में देखें, किस तरह यूरोप के देशों के लोग कोरोना के खतरे से जूझ रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 29, 2020 11:27 AM IST / Updated: Mar 30 2020, 11:36 AM IST
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चंद दिनों में  बर्बाद हो गए हंसते-खेलते देश, अब सड़कों पर चीखती है मनहूसियत, कोरोना ने कर दिया बर्बाद
स्पेन की राजधानी मैड्रिड में कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की नीति को कड़ाई से लागू किया जा रहा है। अस्पतालों के अलावा बड़े होटलों और कॉन्फ्रेंस सेंटरों को भी अस्थाई अस्पतालों में बदल दिया गया है। दवा की दुकानों में भी एक बार में एक ही आदमी जा सकता है। वहां लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया जा रहा है। जो लोग इसका उल्लंघन करते हैं, उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता है।
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कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इटली में पूरी तरह लोगों के आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। वहां बसें और ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। रोम में लोगों के घरों से बाहर निकलने पर रोक है। सिर्फ सरकारी अधिकारियों और मेडिकल स्टाफ को ही बाहर जाने की इजाजत है। पुलिस की इजाजत के बिना कोई भी बाहर नहीं निकल सकता है।
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फ्रांस में कोरोना से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। बड़े पैमाने पर अस्पतालों में आईसीयू वार्ड बनाए जा रहे हैं और जरूरी मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। पूरे फ्रांस में लॉकडाउन जैसी स्थिति है। कोई भी बेवजह बाहर नहीं जा सकता। नियमों को तोड़ने वालों के लिए जुर्माने और जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
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जर्मनी में हर शहर में लॉकडाउन के अलग-अलग नियम लागू किए गए हैं। कोई भी जरूरत से ज्यादा सामान नहीं खरीद सकता है। लोग बाहर निकल सकते हैं, लेकिन उन्हें डेढ़ मीटर की दूरी बना कर चलना पड़ता है। संक्रमण से बचाव के लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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नीदरलैंड्स में भी कोरोना से बचाव के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। लोगों को घरों में रहने के लिए कहा गया है। लोग पार्कों में भी नहीं जा सकते। वहां यातायात प्रतिबंधित तो नहीं है, लेकिन लोग बिना किसी जरूरत के बाहर नहीं निकल रहे। होटलों और रेस्तरां में भी लोग नहीं जा सकते।
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हंगरी में लोगों को बाहर घूमने की आदत काफी है। लेकिन कोरोना के कारण अब लोग घरों में ही रहने को मजबूर हो गए हैं। ज्यादातर कैफे और होटल बंद हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर लोग बाहर निकल सकते हैं और बेकरी, पोस्ट ऑफिस और दवा की दुकानों पर एक मीटर की दूरी पर रह कर ही सामान खरीद सकते हैं। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में नागरिकों का एक समूह बेघर लोगों को जरूरी चीजें मुहैया करा रहा है।
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कोरोना को लेकर सर्बिया ने अपने बॉर्डर सील कर दिए हैं। इससे सर्बिया और स्लोवानिया के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। स्लोवानिया की सीमा इटली से सटी हुई है। स्लोवानिया में लोगों को स्कीइंग और आइस क्लाइंबिंग करना काफी पसंद है। लेकिन अब वहां लोगों के निकलने पर रोक लगा दी गई है। प्रतिबंध नहीं मानने पर सरकार सख्त कदम उठा रही है। सर्बिया में सीमा पर चौकसी काफी बढ़ा दी गई है।
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यूरोप में कोरोना के फैलने के बाद आस्ट्रिया में सरकार ने कड़े नियम लागू कर लोगों के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है। सिर्फ जरूरी चीजों की खरीददारी करने के लिए ही लोग बाहर निकल सकते हैं। आस्ट्रिया में लोग सेल्फ आइसोलेशन के नियमों का पालन कर रहे हैं। वहां सड़कों पर सन्नाटा पसरा नजर आता है।
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स्वीडन में कोरोना का फैलाव दूसरे यूरोपीय देशों की तुलना में कम है, लेकिन फिर भी वहां लोग काफी सावधानी बरत रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज बंद हैं। स्वीडन में ज्यादातर लोग अपने घरों से ही काम कर रहे हैं। बिना किसी वजह के कोई बाहर नहीं निकल रहा है। होटलों और रेस्तरां में बैठ कर कोई खाना नहीं खा सकता। वहां से खाना सिर्फ पैक करा के लिया जा सकता है।
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फिनलैंड में भी सोशल आइसोलेशन की नीति लागू की गई है। इस देश के लोगों में जागरूकता काफी है। इसलिए वे खुद ही आइसोलेशन की नीतियों का पालन कर रहे हैं। सभी स्कूल और दूसरे शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं। किसी भी इवेंट के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। फिनलैंड में बाहर से आने और जाने पर रोक लगा दी गई है।
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